आदमपुर,
हरियाणा सरकार की नीतियों के चलते आदमपुर में एक बड़ा व्यापार फल—फूल रहा है। इस व्यापार में 7 रुपए के केवल 5 मिनट में 21 रुपए बन जाते हैं। इतनी जल्दी पैसे कैसे तीन गुना हो सकते हैं—हर कोई ऐसा ही सोचता है—लेकिन ये हो रहा है। सरकार पिछले कुछ समय से राशन डिपोओं पर मोटा आटा भेज रही है। लोग कार्ड पर ये आटा ले रहे हैं और फिर चक्की पर जाकर इस आटे को 7 रुपए किलोग्राम के हिसाब से बेच देते हैं। बदले में वहां से 21 रुपए किलोग्राम की दर से नया आटा खरीद लेते हैं। यानि अपना आटा 7 रुपए में देकर उसी चक्की से 21 रुपए में बारिक पीसा हुआ आटा खरीद रहे हैं।
रोटी नहीं बनती तो क्या करें
भाट कॉलोनी के 7—8 लोग मेन बाजार में कुछ समय पहले एक चक्की पर राशन डिपो पर मिला आटा बेचकर बदले में बारीक आटा ले रहे थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि राशन डिपो पर 5 रुपए किलोग्राम की दर से एक किलोग्राम आटा मिलता है। 1 आदमी को 5 किलोग्राम आटा मिलता है। लेकिन इस आटे की रोटी नहीं बनती। ये काफी मोटा और पुराना आटा होता है। इसमें स्मैल भी होती है। ऐसे में वे 7 रुपए किलोग्राम की दर से इसे चक्की पर बेच देते हैं और बदले में 21 रुपए की दर से बारीक आटा खरीद लेते हैं।
क्या करते हैं चक्की वाले
चक्की वाले लोगों से राशन डिपो वाला मोटा आटा खरीद कर अपनी गेहूं और कुछ चावल की किनकी मिलाकर दोबारा पीस देते हैं। गेहूं और चावल की किनकी मिक्स होने से इस आटा का रंग सफेद हो जाता है। इसके बाद इस आटे को उन्हीं लोगों को बेच देते हैं, जो इनको राशन डिपो का आटा लाकर बेचते हैं। इसके अलावा यदि कोई खुदरा में ग्राहक आटा लेने आते हैं तो उनको यही आटा 25 रुपए किलोग्राम के भाव में बेच दिया जाता है। इन 4 रुपए का अंतर से चक्की संचालक चावल की किनकी और अपने गेहूं के पैसे पूरे कर लेते हैं।
गोशाला में भी देते हैं दान
वहीं कुछ लोग राशन डिपो से आटा लेकर गोशाला में दान दे आते हैं। इन लोगों को कहना है कि सरकार द्वारा भेजा गया आटा आदमी के खाने के लायक नहीं होता। ऐसे में वे इसे गोशाला में दे आते हैं। गोशाला में यह मोटा आटा सवामणि में मिलाकर गायों को खिला दिया जाता है।