हिसार

वेद में विज्ञान के सभी सूत्र मूलरूप में विद्यमान हैं : स्वामी सच्चिदानंद

वेद परमात्मा की वाणी : स्वामी सच्चिदानंद

हिसार,
आर्य समाज नागोरी गेट के तत्वावधान में आयोजित श्रावणी उपाकर्म पर्व वेद प्रचार सप्ताह के तहत सीएवी स्कूल में कार्यक्रम जारी है। प्रातकालीन सत्र का आरंभ यज्ञ-हवन से हुआ जिसके यजमान कुलदीप अग्रवाल, ईश्वर सिंह आर्य, सुकामा आर्या व रामसहाय चुघ थे। यज्ञ का संपादन कर्मवीर शास्त्री ने किया। मंच का संचालन स्वामी ब्रह्मानंद ने किया।
रिवाला धाम जयपुर से पहुुंचे स्वामी सच्चिनानंद ने प्रवचन में बताया कि वेद ईश्वर की वाणी हैं इसलिए वेद का पढऩा-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सभी का परम धर्म बताया है। वेद सार्वकालिक और सार्वभौमिक हैं। उनमें किसी के साथ पक्षपात और भेदभाव की बात नहीं है। वेद विश्व बंधुत्व की बात करते हैं। सबके मंगल की कामना करते हैं क्योंकि वेद ईश्वरीय गं्रथ हैं और हम सब उस एक ईश्वर की ही संतानें हैं। परमात्मा ने हमारे कल्याण के लिए सम्पूर्ण ज्ञान दिया है। आज भ्रांतिवश लोग वेद को केवल कर्मकांड पूजा-पाठ का ही ग्रंथ समझते हैं बल्कि वेद में तो समस्त ज्ञान-विज्ञान भरा पड़ा है। वेदों से ही आधुनिक विज्ञान की शाखाएं निकली हैं क्योंकि वेद में विज्ञान के सभी सूत्र मूलरूप में विद्यमान हैं। वेद में कहीं भी ढोंग, पाखंड, अंधविश्वास, छूआछूत, ऊंच-नीच, भूत-प्रेत, डाकिनी, शाकिनी की बातें नहीं हैं। वेद में तो निभ्रान्त ज्ञान है जिससे सबका कल्याण होता है। साम्प्रदायी ग्रंथ भेदभाव, अंधविश्वास, पाखंड तथा समाज को तोडऩे की बात करते हैं जबकि वेद ओर वैदिक धर्म सबको जोडऩे की बात करते हैं।
कुमारी अंजलि आर्य भजनोपदेशिका ने अपने गीतों में बताया कि ‘संसार में अधिकांश मनुष्य नाना प्रकार के रोगों से ग्रस्त हैं जिसमें से एक रोग है ‘भूलने’ का।’ खासकर जो अपने आपको हिन्दू कहते हैं, उनमें यह रोग प्राय: मिलेगा। आप सोचो इस बीमारी के कारण ही पृथ्वीराज चौहान जैसा योद्धा मोहम्मद गौरी की भेंट चढ़ गया। इसी भूलके कारण हिन्दू जाति पतन की गर्त में चली गई। हमें याद नहीं कि महाराणा प्रताप ने उदयपुर के महलों को छोडक़र जंगल की खाक छानना क्यों स्वीकार किया। आखिर अकबर क्यों चाहता था कि महाराणा उनकी अधीनता स्वीकार करें। आखिर औरंगजेब क्यों छत्रपति शिवाजी का विरोधी रहा, विचार करो। हमारे इन महापुरुषों ने मृत्यु का आलिंगन किया पर मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की और आज तक कुरान के मानने वालों की ही मानसिकता है जिसके कारण चारों और आतंकवाद पनप रहा है जो लोग कहते हैं कि इस्लाम शांति का प्रतीक है तो उन्हें देखना चाहिए कि अफगानिस्तान में कितनी शांति की बहार है। प्रसिद्ध गायक रामकुमार आर्य ने भक्त संसार से दुखी होकर परमात्मा की शरण में जाता है से संबंधित गीत ‘आया शरण ठोकरें जग की खा के, हटूंगा प्रभु तेरी दया-दृष्टि पा के’ गाया।
कार्यक्रम में ज्योति प्रशाद, झंडाराम आर्य, ओमप्रकाश सैनी, मेजर करतार सिंह, रामकुमार आर्य, सीताराम आर्य, मोहन सिंह सैनी, धर्मपाल आर्य, मदन वासुदेवा, नरेंद्र मिगलानी, चौ. हरिसिंह सैनी, ताराचंद आर्य, बलराज मलिक, दलवीर आर्य, देवेंद्र सैनी, राधेश्याम आर्य, नन्दलाल चोपड़ा, बहन शशि आर्या, सुशीला आर्या, माता लाजवंती खन्ना, सीमा मल्होत्रा, गीता मित्तल, सतेंद्र आर्य, सत्यप्रकाश आर्य, श्यामसुंदर सैनी, महावीर खेड़ा, मास्टर रतन सिंह आर्य, सूर्यदेव वेदांशु, सुरेंद्र रावल तथा जगन्नाथ वरिष्ठ कन्या विद्यालय की छात्राएं एवं सीएवी शिक्षण संस्थाओं के छात्र व छात्राओं सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

Related posts

35वीं वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में रविना और पवन बने बैस्ट एथलीट

Jeewan Aadhar Editor Desk

शिक्षा विभाग स्कूलों में अध्यापकों की हाजिरी बारे स्थिति स्पष्ट कर : अध्यापक संघ

नागोरी गेट हनुमान मंदिर से 4750 परिवारों तक राशन सामग्री पहुंची