हिसार

यूनियन ने किया ऐलान, निजी एनजीओ को रिपोर्ट नहीं करेंगी आंगनवाड़ी महिलाएं

आंगनवाड़ी केन्द्रों को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ धरना शुरू

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में हुआ समझौता भी लागू नहीं किया, अब फिर प्रताडऩा शुरू

हिसार,
हरियाणा सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्लेवे स्कूलों के नाम पर एक निजी एनजीओ को सौंपे जाने के विरोध में आंगनबाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन-1442 ने हिसार में लघु सचिवालय के समक्ष धरना शुरू कर दिया गया है। धरने के दौरान आंगनवाड़ी महिलाओं ने सरकार एवं प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और आंगनवाड़ी केन्द्रों को निजी हाथों में सौंपने का कड़ा विरोध जताया। लघु सचिवालय के समक्ष दिये गए धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता आंगनबाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन की जिला प्रधान बिमला राठी ने की।
धरने को संबोधित करते हुए यूनियन नेताओं ने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को प्लेवे स्कूलों के नाम पर एक निजी एनजीओ को सौंपे जाने के जनविरोधी कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा। उन्होंने ऐलान किया कि आंगनवाड़ी महिलाएं एनजीओ को कोई रिपोर्ट नहीं देंगी। हमने विरोधस्वरूप आंगनबाड़ी केंद्रों में सरकार के इस जन विरोधी कदम के खिलाफ ताले लगा दिये हैं और ये ताले तब खुलेंगे जब हरियाणा सरकार और महिला एवं बाल विभाग की मंत्री आंदोलनकारी आंगनबाड़ी वर्कर्स का दमन बंद करेगी। उन्होंने यह भी मांग की कि बर्खास्त की गई यूनियन नेता कमला दयोरा को बहाल किया जाए, रंजिशन बनाए गए झूठे मुकदमे खारिज किए जाएं, आंगनबाड़ी केन्द्रों को निजी एनजीओ को सौंपने का फैसला वापिस लिया जाए, आंगनबाड़ी वर्कर और हेल्पर को सरकारी श्रमिक का दर्जा व वेतन आयोग के अनुसार वेतन-भत्ते और अन्य सुविधाएं दिए जाएं, रिटायर होने पर पेंशन, मेडिकल सुविधा आदि दी जाए।
आंगनवाड़ी नेताओं ने खेद जताया कि 22 जुलाई से यूनियन प्रदेश की आंगनबाड़ी वर्कर व हेल्पर की मांगों को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा के कैथल आवास पर शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक तरीके से धरना प्रदर्शन कर रही हैं मगर उन्हें हमारी आवाज सुनाई नहीं दी है। मांगें माननी तो दूर मंत्री ने अपने आका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पदचिन्हों पर चलकर आईसीडीएस विभाग के तहत चलने वाले आंगनबाड़ी को ही खत्म करने की ठान ली है। यूनियन नेताओं ने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार पूरी तरह जनविरोधी व झूठी सरकार है। इस सरकार ने साल 2018 में हमें सरकारी श्रमिक का दर्जा व अन्य सुविधाएं देने का समझौता किया था मगर वह आज तक लागू नहीं किया। उसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात दूरदर्शन केंद्र टीवी पर लाइव आकर आंगनवाड़ी महिलाओं को दीवाली का तोहफा बताकर आंगनबाड़ी वर्कर के मानदेय में 1500 व हेल्पर के मानदेय में 750 बढ़ौतरी की घोषणा की थी लेकिन वह बढ़ा मानदेय खट्टर सरकार ने आंगनबाड़ी वर्कर व हेल्पर को नहीं दिया। यह कह कर मना कर दिया कि हम और राज्य से आपको ज्यादा मानदेय दे रहे है।
यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि आंगनवाड़ी महिलाओं की हमारे विभाग के अतिरिक्त भी किसी भी विभाग में ड्यूटी लगा दी जाती हैं जिसका हमें कोई भी अलग से लाभ नहीं दिया जाता। लाभ देना तो दूर आने-जाने का किराया भी हम अपनी जेब से भरते हैं। हमारे ऊपर अफसरों द्वारा इतना दबाव बनाया जाता है कि अगर आप नहीं जाओगे तो आपका वेतन काट लिया जाएगा। आंगनवाड़ी में ज्यादातर विधवा व गरीब महिलाएं लगी हुई है। हमारे बार-बार लिखित में देने के बावजूद भी हमारा अफसरों द्वारा शोषण किया जा रहा है। यूनियन नेताओं ने प्रदेश की समस्त आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर से अपील की वे सब भेदभाव छोडक़र आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लें और मौजूदा जनविरोधी व मजदूर कर्मचारी विरोधी सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करें ताकि आंगनवाड़ी केन्द्रों को सरकारी रूप में बचाया जा सकें।
धरने पर बैठी आंगनवाड़ी महिलाओं को मुख्य रूप से जिला उपप्रधान कमलेश बूरा, हिसार अर्बन ब्लॉक प्रधान राजबाला सहारण, सुशीला जांगड़ा, शीला, निशा, पार्वती, सुमन राठी, बरवाला ब्लॉक से कलावती, सूरजपती, बीरमती, कृष्णा, पावन, निशा, प्रियंका, बीना, अनीता, रामकली, हांसी ब्लॉक से प्रोमिला, सुशीला, कृष्णा, राजरानी, राजवंती, अंजू, नारनौद ब्लॉक से बिमला, कमलेश, हिसार-1 से संगीता, सरोजनी, संतोष, राजबाला, संतोष, हिसार-2 से सावित्री, बीना, सुमित्रा, सोनिया, गायत्री व पिंकी आदि ने संबोधित किया।

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