हिसार,
जाट सेवक संघ की बैंठक संघ के प्रघान राजेश बैनीवाल की अध्यक्षता में संघ कार्यालय सेक्टर 16-17 हिसार में हुई। बैठक में हाल ही में रिलीज हुई फिल्म पानीपत में महाराज सूरजमल को गलत तरीके से दिखाए गए रूप के बारे में विस्तृत चर्चा की। सभी पदाधिकारियों ने इतिहास में इस प्रकार की किसी भी बात से इनकार किया है।
जाट सेवक संघ के उपप्रधान व प्रवक्ता जोगिंदर सिंह पातड़ ने बताया कि जाट समाज के सभी बुद्धिजीवी वर्ग ने इस फिल्म में महाराजा सूरजमल के चरित्र पर किए गए कटाक्ष पर विरोध जताया है और कहा कि पानीपत फिल्म में दिखाए गए महाराज सूरजमल के रोल का इतिहास में कहीं भी वर्णन नहीं है। जाट सेवक संघ ने फैसला किया है कि हम फिल्म के राइटर और डायरेक्टर को लिखित में नोटिस भेजेंगे तथा प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा जाएगा कि देश के महापुरूषों व योद्धाओं का अपमान करना बंद किया जाए। फिल्म निदेशक को पूरे समाज से लिखित में माफी मांगनी चाहिए और फिल्म में इस प्रकार के तथ्य को तुरंत हटाया जाए। इतिहास के जानकारों ने बताया कि महाराज सूरजमल ने मराठों से अपना समर्थन तीन बातों की है सहमति के कारण लिया था जिसमें कहीं भी आगरा के किला मांगने जैसा वर्णन नहीं है। उन्होंने कहा कि युद्ध जीतने के लिए जो जरूरी बातें व नीतियां महाराजा सूरजमल ने बताई थी वो सदाशिव राव ने ठुकरा दी और महाराज सूरजमल को कहा कि मैं अपनी शर्तों पर लड़ लूंगा, अगर आपको साथ रहना है तो रहे वरना आप जा सकते हैं। इससे रुष्ट होकर महाराज सूरजमल अपनी सेना के साथ वापस अपने भरतपुर महल में आ गए।
इतना ही नहीं इतिहासकार बताते हैं इतना सब होने के बावजूद भी युद्ध में हारे हुए मराठों को भरतपुर में शरण दी गई और उनकी खूब आवभगत की गई और उन्हें वापसी बड़े सम्मान के साथ पुणे भिजवाया गया। इसका विवरण भी इतिहास में बहुत मिलता है और इन सबके बाद महाराज सूरजमल को जिस प्रकार से दिखाया गया है वह पूरे समाज और देश के इतिहास को कष्ट देने वाला है।
इस अवसर पर संघ के महासचिव राजेश बडाला, धर्मबीर, अनिल पातड़, बलजीत पूनिया, तेजवीर, सुखबीर, योगेश चौधरी, मनीष, सत्यवान पानू, साधुराम जाखड़, संदीप सावंत, संजय कुंडू, सत्यवान शास्त्री, शमशेर सिंह, सुखवीर दूहन, विक्रम पंघाल आदि अनेक पदाधिकारी व सदस्यगण मौजूद थे।