किलोमीटर स्कीम व निजी बसों में यात्रियों, खासकर महिलाओं व छात्राओं से अभद्र व्यवहार होना आम बात
हिसार,
हरियाणा कर्मचारी महासंघ से संबंधित रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने प्रदेश सरकार एवं विभाग के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि आए दिन सामने आ रही किलोमीटर स्कीम की बसों में तथा निजी बसों की शिकायतों को देखते हुए अघोषित निजीकरण की नीति को छोडक़र सरकारी बसों का बेड़ा बढ़ाने की ओर से ध्यान दें। उन्होंने कहा कि किलोमीटर स्कीम की बसें, सहकारी समिति की बसे व निजी बसें जनता व सरकार की आशाओं पर खरा नहीं उतर रही और इनकी आए दिन शिकायतें मिल रही है।
यूनियन के डिपो प्रधान राजबीर दुहन व चेयरमैन भागीरथ शर्मा ने कहा कि हाल में किलोमीटर स्कीम की बस का वीडियो सामने आया था, जिसमें उसके चालक ने बस को बीच रास्ते में ही रोक दिया और सरकारी परिचालक से अभद्र व्यवहार करते हुए यात्रियों को परेशान किया। परिचालक व यात्री उससे गंतव्य तक पहुंचाने की मिन्नते करते रहे लेकिन निजी कंपनी के चालक ने यात्रियों की समस्या से कोई सरोकार न रखते हुए उन्हें परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह वीडियो तो मात्र एक उदाहरण है, अन्यथा किलोमीटर स्कीम के चालक पूरी तरह से मनमानी करते हैं और सरकारी परिचालक व यात्रियों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। वीडियो वायरल हुआ तो राज्य के परिवहन मंत्री को उक्त बस का परमिट रद्द करने का आदेश देना पड़ा लेकिन केवल यही एक बस नहीं है, जिसमें यात्री परेशान हुए हैं।
राजबीर दुहन व भागीरथ शर्मा ने कहा कि हाल में फतेहाबाद जिले में एक निजी बस के परिचालक पर छात्रा से छेड़छाड़ का आरोप लगा है। उन्होंने कहा कि राज्य के हर गांव में छात्राएं पढऩे के लिए अपने साथ लगते शिक्षण संस्थान तक आती है और आने-जाने के लिए बस को सबसे सुरक्षित साधन माना जाता है लेकिन यदि इतनी सवारियों के होते हुए भी बस में छात्राओं के साथ इस तरह की हरकतें होंगी तो फिर बसों को सुरक्षित कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि निजी बसों के नौसिखिए चालक-परिचालक छात्राओं व महिलाओं से इस तरह की हरकतें करते हैं जो निंदनीय है। सरकार को ऐसी बसों के संचालन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा रोडवेज की साधारण बसें यात्रियों, खासकर विद्यार्थी वर्ग की पसंदीदा साधन रहा है और रोडवेज के चालकों-परिचालकों ने हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करते हुए महिलाओं, छात्राओं एवं आम जनता से मधुर व्यवहार करते हुए उन्हें गंतव्य तक पहुंचाया है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह अपनी अघोषित निजीकरण की नीति को त्यागें और रोडवेज में साधारण बसों को बढ़ावा दें ताकि जनता को अच्छी सुविधा व बेरोजगारों को स्थाई रोजगार मिल सके।