जिला प्रधान राठी बोली, मांगे नहीं मानी तो काली दीवाली मनाने को मजबूर होंगी आंगनवाड़ी महिलाएं
हिसार,
आंगनवाड़ी केन्द्रों को निजी एनजीओ के अधीन करने के विरोध में और 2018 में किया गया समझौता लागू करने की मांग पर आंदोलनरत आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन ने चेताया है कि यदि सरकार ने इसी तरह उनके आंदोलन की अनदेखी जारी रखी तो सभी आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर काली दीवाली मनाने को मजबूर होंगी। यूनियन ने कहा है कि जब उनकी रोजी रोटी पर संकट मंडरा रहा है तो वे दीवाली कैसे मना सकती हैं।
लघु सचिवालय के समक्ष 34 दिनों से चल रहे धरने को संबोधित करते हुए जिला प्रधान बिमला राठी ने यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन पिछले तीन साल से समझौता लागू करने की बाट जोह रही थी लेकिन सरकार ने समझौता लागू करने की बजाय उन पर एक और कुठाराघात कर दिया। सरकार ने आंगनवाड़ी केन्द्रों को निजी एनजीओ के अधीन करने का फैसला करके उनकी रोजी-रोटी पर ही संकट खड़ा कर दिया जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि सरकार अभी भी उनके आंदोलन के प्रति उदासीन बनी हुई है लेकिन हम आंदोलन से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेंगी। इसके साथ ही आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर आंदोलन के बावजूद लाभ पात्रों के प्रति अपनी सेवाओं को नहीं भूल रही है और अपना सारा कार्य समय पर कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नौनिहालों के हित में विभाग ने हमें कुछ जिम्मेदारियां दे रखी हैं जिन्हें पूरा करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हरियाणा दिवस पर मुख्यमंत्री ने लंबे-चौड़े दावे व उपलब्धियों का बखान किया लेकिन सरकार के झूठ की पोल तो आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर ने काला दिवस मनाकर खोल दी है। यही नहीं, किसान, मजदूर व कर्मचारी वर्ग भी सरकार के खिलाफ आंदोलनरत है तो उपलब्धियां कैसी। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भागना बंद करें और आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर की मांगों को गंभीरता से लेते हुए साल भर के त्यौहार दीवाली पर एक अच्छा फैसला लें। यदि अब भी सरकार ने उनके आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया तो आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर काली दीवाली मनाने को मजबूर होंगी।
धरने के 34वें दिन का मंच संचालन सुशीला जांगड़ा और बरवाला की कमलेश बूरा ने किया। त्योहारी दिन के बावजूद धरने पर महिलाओं की उपस्थिति व जोश देखते ही बनता था। धरने में बालावास से पूनम, सुशीला, तारो, प्रमिला, डोभी से सुमन, सरोज, रोशनी, शीला, गंगवा से माया देवी, बीरमती, रोशनी, संगीता, उर्मिला, बाला, मंगाली से लीलावती, शीला, राजवंती, डोभी से सरोज बाला, दर्शना, सुमन, सुशीला, सरोज, गीता, विनोद, भिवानी रोहिला से ममता, सवेरा, बीरमती, कांता, सुनीता, सरसाणा से सरोज, शिमला, सुमन, सुनीता, शेखपुरा हांसी से सोमवती, नीलम, कैलासो, अरुणा, कांता, सरोज, धीरनवास से सुमन, राजबाला, गीता, राजली से कमलेश, कविता, कमलेश, सुशीला, सुनीता व सुमन सहित सैंकड़ों महिलाएं शामिल हुई।