किसानों के बीच बढ़ती सरसों के बीज की मांग को देखते हुए हकृवि ने नामी कंपनी से किया समझौता
हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्म आरएच 725 के बीज की किसानों के बीच डिमांड बहुत बढ़ रही है। इसी के चलते विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत राजस्थान की ग्रीन स्पेस एग्री प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ समझौता किया। इसके तहत उक्त कंपनी बीज तैयार कर किसानों तक पहुंचाएगी ताकि किसानों को उन्नत किस्म का विश्वसनीय बीज मिल सके और उनकी पैदावार में इजाफा हो सके।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध किसानों तक ज्यादा से ज्यादा पहुंचे ताकि उन्हें उन्नत किस्मों का बीज व तकनीक समय पर उपलब्ध हो सके। इसलिए इस तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर कर विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां से विकसित उन्नत किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके। समझौता ज्ञापन पर हस्तारक्षर होने के बाद अब विश्वविद्यालय कंपनी को लाइसेंस प्रदान करेगा जिसके तहत उसे बीज का उत्पादन व विपणन करने का अधिकार प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि इस किस्म के बीज के लिए विश्वविद्यालय की ओर से यह दूसरा समझौता किया गया है। इससे पहले भी दक्षिण भारत में महाराष्ट्र के पूणे की कंपनी एग्रो स्टार (यू लिंक एग्री टेक प्राइवेट लिमिटेड, पुणे) के साथ सरसों की किस्म आरएच 725 के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
तेल की मात्रा व अधिक पैदावार के चलते किसानों की बढ़ी रूचि
वर्ष 2018 में अनुमोदित की गई सरसों की आर एच 725 किस्म 136-143 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसकी फलियां अन्य किस्मों की तुलना में लंबी व दानों की मात्रा अधिक होती है। साथ ही दानों का आकार भी बड़ा होता है और तेल की मात्रा भी ज्यादा होती है। इस किस्म की पैदावार औसतन 25 क्विंटल से अधिक आंकी गई है जिसकी बदौलत किसानों की इसके प्रति डिमांड अधिक बढ़ी है।
इन्होंने किए हस्ताक्षर
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत राजस्थान की ग्रीन स्पेस एग्री प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ किए गए समझौते के समय विश्वविद्यालय के कुलपति की मौजूदगी में एचएयू की ओर से अनुसंधान निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा जबकि कंपनी की ओर से निदेशक विजय यादव ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति के ओएसडी एवं मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय के निदेशक डॉ. अतुल ढींगड़ा, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा, तिलहल अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव, एसवीसी कपिल अरोड़ा, सहायक निदेशक डॉ. विनोद कुमार आदि मौजूद रहे।