हिसार

जल संचय : समय की मांग

पानी, नीर, वारी आदि अनेक नामों से जो जाना जाता है वह इंसान पशु पक्षी जंगली जानवरों सभी के लिए अत्यंत आवश्यक है। मनुष्य को हर पल एवं ज्यादा जल की आवश्यकता होती है। नहाने, धोने और पीने के अलावा सफाई में भी जल चाहिए। दूसरे शब्दों में यूं कहिए कि खाने के बिना प्राणी कुछ समय के लिए जिंदा रह सकता है, परंतु जल के बिना जीवित रहना बहुत मुश्किल है। भारत एक कृषि प्रधान देश है ।जल के बिना खेती बाड़ी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पर्यावरण के दूषित होने, पेड़ों के कटान तथा जलवायु परिवर्तन के कारण बरसात समय पर नहीं आती है, या कम ज्यादा आती है जिसके कारण धरती के ऊपर एवं धरती के नीचे जल की कमी हो रही है, तथा बरसात का काफी पानी बह कर नदियों के रास्ते समुंदर में मिल जाता है। देश में बहने वाली सभी नदियों के जल को नियंत्रण करके पूर्ण रूप से पानी का प्रयोग हम नहीं कर पाए हैं। यदि ऐसा हो जाए तो देश में कृषि एवं इंसान के प्रयोग के लिए कहीं भी जल की कमी ना रहे। शहरी क्षेत्रों में व्यक्तिगत रूप से पानी की खपत ग्रामीण क्षेत्रों से कहीं ज्यादा है। जनसंख्या बढ़ोतरी के साथ-साथ पानी की खपत भी लगातार बढ़ती जा रही है। देश में लगभग सभी जगह पानी की बर्बादी भी हम देख सकते हैं। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गर्मी के मौसम में पूरी जनसंख्या को आवश्यकतानुसार पानी पहुंचाना सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होता है जिसमें व्यक्ति विशेष, राजनीतिज्ञ, स्वयंसेवी संस्थाएं तथा सरकारें मिलकर जल पहुंचाने का कार्य करते हैं, फिर भी जल की पूर्ण रूप से पूर्ति नहीं हो पाती है। वर्तमान में सरकारों द्वारा जल संचय अभियान चलाया जा रहा है। जल संचय प्राचीन काल से होता रहा है जिसको वर्तमान युग में हम भूल रहे हैं। जल संचय आज समय की मांग है। इसके साथ ही सरकारों को नदियों के पानी के नियंत्रण करने के कार्य को गति देनी होगी। अत: आमजन को जल संचय एवं जल के प्रयोग करने के तरीकों तथा कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए नई तकनीकों पर ध्यान देना होगा एवं जल की बर्बादी को भी रोकना होगा। क्योंकि :
जल ही जीवन, जल है तो है कल
हर पल सबको चाहिए जल
धरती का जल से खिलता आँचल
जल से निखरते पहाड़ और जंगल
अंत में जल संचय अपनाना होगा
जल संसाधनों को बढ़ाना होगा
कृषि भूमि को बंजर होने से बचाना होगा
हर घर को चल पहुंचाना होगा।

(पुष्कर दत्त)
सहायक नगर योजनाकार, हिसार।

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