हिसार

लापता हुए मंदबुद्धि युवक को डेरा प्रेमियों ने परिजनों से मिलवाया

बरवाला
सड़क पर गुजरते वक्त अगर अचानक हमारे अथवा हमारे ही किसी साथी के सामने कोई मंदबुद्धि या फिर कोई पागल आ जाए तो अक्सर हम उसके बगल से होकर बचकर गुजर जाते हैं। डर होता है..कहीं मार न दें या फिर कोई ऐसी वैसी हरकत न कर दें। लेकिन आज हम जिस वाक्या का यहां जिक्र करने जा रहे है, वो इस पुराने रवैये पर एक तरह से कड़ा तमांचा है। दरअसल, पूरी कहानी हैं पश्चिम बंगाल के अलनागौर मुर्शदाबाद एरिया के रहने वाले 35 वर्षीय अब्दुल कलाम आजाद की। करीब 1 साल पहले पिता के देहांत के बाद अब्दुल कलाम आजाद अपना मानसिक संतुलन खो बैठा। इस बीच अचानक वह घर से लापता हो गया। अब्दुल के परिवार में उसकी माता मोमिनों बाई, भाई अंकुल सिक्स व पत्नी तथा एक बेटी थी। भटकते-भटकते अब्दुल हरियाणा के हिसार जिले में आ पहुंचा। लेकिन अन्य मंदबुद्धियों की अपेक्षा अब्दुल की किस्मत अच्छी रही, या यूं कह लिजिए कि शायद उसे फरिश्ते ही मिल गए हो। 24 अप्रैल 2017 को डेरा प्रेमियों का एक जत्था किसी काम से हिसार गया हुआ था। दिल्ली-सिरसा नेशनल हाइवे पर उन्हें वहां फटेहाल हालात में मंदबुद्धि अब्दुल कलाम आजाद गुजरता हुआ दिखाई दिया। बस फिर क्या था…अपने गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां द्वारा मानवता की भलाई के लिए चलाई गई मंदबुद्धि की सार-संभाल वाली मुहिम में अपनी आहुति डालते हुए डेरा प्रेमियों ने अब्दुल को संभालते हुए उसे अपने साथ बरवाला ले आए। करीब एक महीने तक अब्दुल की पूरी सार-संभाल कर उसके परिजनों तक पहुंचने का प्रयास किया गया। इस बीच कामयाबी मिली और सोमवार को पश्चित बंगाल से अब्दुल के परिजन उसे लेने आ गए। जिसके बाद पुलिस को इस संबंध में इत्तला देकर डेरा प्रेमियों ने अब्दुल कलाम आजाद को उसकी माता मोमिनों बाई और भाई अंकुल सिक्स को सौंप दिया। यहां बता दें कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने मंद बुद्धियों की सार-संभाल के लिए विशेष मुहिम का आगाज किया हुआ है। इसके तहत बकायदा मंदबुद्धियों की सार-संभाल कर उन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है।

ईलाज करवाया पूरी संभाल की मगर भाषा आ रही थी आड़े

डेरा अनुयायी मंदबुद्धि अब्दुल को 24 अप्रैल को नामचर्चा घर लाए थे। यहां उसकी कटिंग-शेव करवा उसे नहलाया गया तथा उसे कपड़े इत्यादि दिलवाएं गए। उसके बाद उसका ईलाज बरवाला के अस्पताल व हिसार के एक मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास करवाया गया। अब्दुल के मिलने संबंधित सूचना स्थानीय अनुयायियों ने बरवाला पुलिस स्टेशन में भी दे दी। थाने में लिखित में कहा कि उन्हें एक मंदबुद्धि युवक घुमते हुए मिला है, वे उसकी संभाल तथा ईलाज करवाएंगे। अब्दुल का ईलाज शुरू हो चुका था। इस बीच अब्दुल से बोल-चाल करने का प्रयास जारी था। आभास हुआ कि वो शायद बंगाल या आसाम का हो सकता है। ऐसे में डेरा प्रेमियों ने बंगाल के किसी लोकल कारिगर इत्यादि से संपर्क साध अब्दुल से बातचीत करवाई गई, तो पता चला कि अब्दुल पश्चिम बंगाल का है। जिसके बाद डेरा प्रेमियों व शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग के सदस्यों ने वहां अब्दुल के परिवार का पता लगा इस संबंध में इतला दे दी।

जाते वक्त गले लिपट कर रोने लगा अब्दुल..बोला मैं फिर आउंगा

अब्दुल जब अपने परिजनों के साथ घर लौटने की तैयारी में था, तो वो अचानक रोने लगा। अब्दुल उसकी सार-संभाल करने वाले डेरा प्रेमियों के गले लिपट कर भी रोया। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग के सेवादार व स्थानीय जिम्मेवार डॉ. मनजीत इन्सां सरसौद, राममेहर इन्सां, राजेश काठपाल इन्सां, सुशील इन्सां, साधुराम इन्सां, रामभगत इन्सां, मंगतूराम इन्सां, जोगी राम इन्सां, महेंद्र इन्सां ने अब्दुल को उसके परिजनों को सौंप दिया। जाते-जाते अब्दुल ने भी मजाक में कहा कि ‘मैं फिर आउंगा।Ó उसकी बात सुन डेरा प्रेमी मुस्कुराएं और कहां ‘आना मगर पहले वाले हालात में नहीं, बल्कि मिलने आना।Ó डेरा के स्थानीय जिम्मेवार हिसार रेलवे स्टेशन पर जाकर अब्दुल व उसके परिजनों को बकायदा गोरखधाम एक्सप्रैस में बैठाकर वापिस आए।

परिजनों ने जताया डॉ. एमएसजी का आभार
अब्दुल को लेने पहुंची उसकी माता मोमिनों बाई व भाई अंकुल सिक्स ने कहा कि 1 साल पहले लापता हुए अब्दुल कलाम आजाद की तलाश में वे काफी भटके। अब्दुल की काफी तलाश की गई। अब्दुल की बीवी व बेटी का भी रो-रो कर बुरा हाल था। लेकिन हाल ही में बीते दिनों डेरा प्रेमियों के आए फोन ने मानों उनके घर खुशियां भेज दी हो। जब से उन्हें पता लगा कि अब्दुल ठीक हालात में हरियाणा में है, वे यहां आने का प्रयास करने लगी। अब्दुल को पा कर उसकी मां व भाई ने डेरा प्रमुख बाबा डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां का आभार जताया कि उनकी पावन प्रेरणाओं का अनुसरण करते हुए डेरा प्रेमियों ने उसके बिछड़े परिजन को उनसे मिलवाया है।

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