धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-3

एक बड़े से जंगल में शेर रहता था। शेर गुस्‍से का बहुत तेज था। सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। वह सभी जानवरों को परेशान करता था। वह आए दिन जंगलों में पशु-पक्षियों का शिकार करता था। शेर की इन हरकतों से सभी जानवर चिंतित थे।
एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक सम्‍मेलन रखा। जानवरों ने सोचा शेर की इस रोज-रोज की परेशानी से तो क्‍यों न हम खुद ही शेर को भोजन ला देते हैं। इससे वह किसी को भी परेशान नहीं करेगा और खुश रहेगा।
सभी जानवरों ने एकसाथ शेर के सामने अपनी बात रखी। इससे शेर बहुत खुश हुआ। उसके बाद शेर ने शिकार करना भी बंद क‍र दिया।
एक दिन शेर को बहुत जोरों से भूख लग रही थी। उस दिन एक चतुर खरगोश को शेर का खाना का खाना लाना था। फिर थोड़ी देर बाद खरगोश शेर के सामने गया। शेर ने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा इतनी देर से क्‍यों आए? और मेरा खाना कहां है?
चतुर खरगोश बोला, शेरजी रास्‍ते में ही मुझे दूसरे शेर ने रोक लिया और आपका खाना भी खा गया। शेर बोला इस जंगल का राजा तो मैं हूं यह दूसरा शेर कहां से आ गया।
खरगोश ने बोला, चलो शेरजी मैं आपको बताता हूं वो कहां है। शेर खरगोश के साथ जंगल की तरफ गया। चतुर खरगोश शेर को बहुत दूर ले गया। खरगोश शेर को कुएं के पास ले गया और बोला शेरजी इसी के अंदर रहता है वह शेर।
शेर ने जैसी ही कुएं में देखा और दहाड़ लगाई। उसे उसी की परछाई दिख रही थी। वह समझा दूसरा शेर भी उसे ललकार रहा है। शेर क्रोधित हो गया और उसने कुएं में छलांग लगा दी। इस प्रकार जंगल के अन्य जानवरों को उससे मुक्ति मिल गई।
सार यह है कि ताकत के बल पर निर्बल को सताने वाले गुस्सैल लोगों का अंत अपनी ही ताकत से हो जाता है। इसलिए सदा हर परिस्थिती में विनम्र बनो। धन—दौलत और ताकत कभी किसी के पास के पास स्थाई रुप से नहीं रहते।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-537

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—481

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—120