धर्म

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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—162

द्रुपद और द्रोणाचार्य की कहानी उनके अहंकार की है। जो दोनों के पतन के कारण भी बनी। द्रुपद और द्रोण एक ही आश्रम में साथ—साथ...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—161

कश्यप ऋषि के दो प्रमुख पुत्र हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्क्ष थे। हिरण्यकशिपु के वंश में निकुंभ नामक एक असुर उत्पन्न हुआ था, जिसके सुन्द और उपसुन्द...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—160

एक महिला बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति थी ओर उसने गुरु से नाम दान भी लिया हुआ था। भजन सिमरन व सेवा भी करती थी। किसी...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—159

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी! निश्चित ही मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। यह बात कई बार आपके मुख से निकली होगी और बहुधा...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—158

एक राजा बहुत ही महत्त्वाकांक्षी था और उसे महल बनाने की बड़ी महत्त्वाकांक्षा रहती थी। उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया। रानी उनकी इस इच्छा...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—157

वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि सुग्रीव जब माता सीता की खोज में वानर वीरों को पृथ्वी की अलग–अलग दिशाओं में भेज रहे थे, तो...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—155

एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों बड़े ईश्वर भक्त थे। ईश्वर उपासना के बाद वे आश्रम में आए रोगियों की चिकित्सा में गुरु की...
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परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—154

उस समय कथावाचक व्यास डोगरे जी का जमाना था बनारस में। वहां का समाज उनका बहुत सम्मान करता था। वो चलते थे तो एक काफिला...