हिसार
किसानों को आर्गेनिक खेती की तरफ आकर्षित करने की उद्देश्य से हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने नई पहल की है। इसके तहत पंडित दीनदयाल उपाध्याय आर्गेनिक कृषि सिस्टम के तहत किसानों को आर्गेनिक खेती करने के लिए विश्वविद्यालय में ही जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी और यहां के तकनीकी विशेषज्ञ किसानों का मार्गदर्शन करेंगे। यही नहीं, किसानों को विभिन्न उत्पादों के सर्टिफिकेशन में भी विश्वविद्यालय मार्गदर्शन करेगा और अपने कार्य में विश्वविद्यालय बायोगैस व सौर ऊर्जा की मदद लेगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने बताया कि केन्द्र व प्रदेश सरकार किसानों को जैविक खेती की तरफ आकर्षित करने के लिए विशेष ध्यान दे रही है। किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि वह किसी फसल की बिजाई से लेकर उत्पादन व बेचने तक चिंतित रहता है, ऐसे में वह आर्गेनिक खेती की तरफ जाने से हिचकिचाता है और केवल दो-तीन फसलों तक ही सीमित रहता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने अपनी खाली पड़ी लगभग 120 एकड़ जमीन का सदुपयोग करते हुए किसानों को आर्गेनिक खेती करवाने का मन बनाया है। यहां से पूरी तरह खेती की विधि सीखने के बाद किसान स्वयं की जमीन पर या जैसे भी उपलब्ध हो, उस जमीन पर यह खेती कर सकता है। इसके अलावा पहले से आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि उन्हें और जानकारी मिल सके। इससे संबंधित सारा प्रशिक्षण कुरूक्षेत्र स्थित गौशाला में दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विज्ञान योजना के तहत विश्वविद्यालय को इस बार 20 करोड़ रुपये मिले हैं, जिससे किसानों को फायदा होगा।
कुलपति ने कहा कि जहां पर किसानों को 120 एकड़ में आर्गेनिक खेती करवाई जाएगी, वो क्षेत्र पूरी तरह से सौर ऊर्जा व बायोगैस पर आधारित होगा। यहां के उपकरण व नलकूप इत्यादि दिन में सौर ऊर्जा से चलेंगे वहीं रात्रि के समय बायोगैस पर आधारित होंगे। इसके अलावा लुवास विश्वविद्यालय की डेयरी से गौबर लेकर उसमें पत्ते व टहनियां मिलाकर ऐसी कंपोस्ट तैयार की जाएगी, जो इस खेती में अधिक से अधिक फायदेमंद हो। एक अन्य जानकारी में उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में हर बार पुष्प प्रदर्शनी आयोजित की जाती है लेकिन इस बार केवल पुष्प प्रदर्शनी ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय में विकसित हर उत्पाद की प्रदर्शनी लगाई जाएगी, ताकि जनता को हर नई जानकारी मिल सके। इसके तहत लुप्तप्राय: हो चुके उत्पादों को सामने लाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि करनाल स्थित केन्द्र में कई उत्पाद आर्गेनिक बनाये गए हैं और भविष्य में यही प्रयास होगा कि अधिक से अधिक उत्पाद आर्गेनिक बनाये जाएं। उन्होंने माना कि उत्पादन गिरने की संभावना के चलते किसान वर्ग आर्गेनिक खेती करने से हिचकिचाता है लेकिन उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। पहली साल उनकी फसल का उत्पादन गिरेगा, दूसरी साल कुछ कमी होगी लेकिन तीसरी साल उनका उत्पादन इतना होगा कि दो साल में हुई कमी को पूरा कर देंगे। इस अवसर पर विस्तार शिक्षा निदेशक डा. एसके सेठी एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
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