फतेहाबाद

कुंभकर्ण की नींद में सोने वाला आरटीए विभाग ‘चक्का जाम’ होते ही नींद से जागा

फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
प्रशासनिक अधिकारी पहले जमकर मनमानी करते है और जब कर्मचारी यूनियन विरोध करती है तो उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती—लेकिन जब यूनियन आंदोलन पर उतर आती है तो उनके पसीने छूट जाते है। कुछ इसीप्रकार का नजारा आज फतेहबाद के बस अड्डे पर देखने को मिला।
31 दिसंबर को रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने संयुक्त रुप से धरना देकर आरटीए विभाग द्वारा फतेहाबाद से वाया भूना, जाखल रूट पर मनमाने ढंग से फेरे बढ़ाने के खिलाफ 2 जनवरी को चक्का जाम करने की चेतावनी दी थी। लेकिन इस चेतावनी को प्रशासनिक अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया और यूनियनों से बातचीत करने की जरुरत तक नहीं समझी। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंध बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

इसके चलते रोडवेज यूनियनों ने मंगलवार सुबह फतेहाबाद डिपो में चक्का जाम कर दिया। चक्का जाम होते ही यात्रियों में अफरा—तफरी मच गई। भारी संख्या में पुलिसबल मौके पर पहुंच गया। इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और यहां धरना शुरु कर दिया। धरने की अध्यक्षता सभी यूनियनों के प्रधान सूरजभान चोपड़ा, ईश्वर सहारण, मनोज कुण्डू, साधुराम, राजेश कुमार और सलेन्द्र कन्हड़ी ने की।
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चक्का जाम की सूचना मिलने पर प्रशासनिक अधिकारियों की नींद टूटी। इसके बाद एडीसी डा. जेके आभीर मौके पर पहुंचे और यूनियन नेताओं से बातचीत की। बताचीत के दौरान उन्होंने यूनियन नेताओं से समस्या का समाधान 2 दिन में करने का आश्वासन देते हुए चक्का जाम खोलने की अपील की। बाद में यूनियन नेताओं ने आपस में सहमति बनाते हुए चक्का जाम को स्थगित करने का ऐलान कर दिया।
वहीं फतेहाबाद डिपो के जीएम ने चक्का जाम होने के हालात पैदा होने के लिए आरटीए विभाग को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बिना रोडवेज विभाग की राय लिए बसों का नया टाइम टेबल जारी किया गया। इसके बाद कर्मचारियों की मांग को आरटीए विभाग ने अनसुना किया, ये ही कारण है कि कर्मचारी चक्का जाम करने को मजबूर हुए और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
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