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चारा घोटाले के तीसरे मामले में लालू को 5 साल की सजा, जगन्नाथ मिश्रा को भी जेल

रांची,
चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार गबन मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा हुई है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को सजा का ऐलान किया, लालू पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। चारा घोटाले का ये तीसरा मामला था, इससे पहले दो अन्य मामलों में भी लालू को सजा हो चुकी है। लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को भी पांच साल की सजा हुई है। इस मामले में बहस दस जनवरी को पूरी हो गई थी और इस मामले में अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को हुई सुनवाई में लालू के अलावा कुल 56 में से 50 लोगों को इस मामले में दोषी करार दिया गया। बाकी 6 को निर्दोष बताया गया है।

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बता दें कि वह चारा घोटाले के देवघर कोषागार से जुड़े एक मामले में साढ़े तीन साल की सजा पाने के बाद रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। सुनवाई में दौरान अन्य आरोपी जगन्नाथ मिश्रा अपनी पत्नी के देहांत के कारण नहीं आ पाए थे। लालू को दोषी करार दिए जाने के बाद राजद नेता रघुवंश प्रसाद ने कहा कि हम इस मामले में कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लालू को दोषी ठहराने के बाद कहा कि जब वह राज्य को लूट रहे थे ये उसी की सजा है। अभी तो सिर्फ तीन ही मामले में सजा मिली है, दो मामले अभी भी बाकी हैं। ये पहली बार नहीं है कि वह दोषी करार दिए गए हैं। राजद द्वारा बीजेपी पर आरोप लगाने पर उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी के नेता ऐसा कह रहे हैं तो वह कोर्ट का अपमान कर रहे हैं। सुशील मोदी ने कहा कि लालू यादव किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

हाईकोर्ट में करेंगे अपील

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जनता लालू जी को अपना हीरो मानती है, जनता के लिए लालू आरोपी नहीं है। हम इस मामले को आगे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी ले जाएंगे। नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए तेजस्वी ने कहा कि लालू को फंसाने की साजिश हुई है, नीतीश की कैबिनेट में भी कई दागी बैठे हैं। नीतीश कुमार बार-बार दिल्ली इसलिए जाते हैं कि वह लालू को फंसाने की साजिश रच सके। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार 2018 में ही चुनाव करवाना चाहते हैं।

क्या है चाईबासा कोषागार का मामला?

चाईबासा कोषागार से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इसमें साल 1996 में केस दर्ज हुआ था। इस मामले में कुल 76 आरोपी थे, जिनमें लालू प्रसाद और डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के नाम भी शामिल हैं।

हालांकि सुनवाई के दौरान 14 आरोपियों का निधन हो चुका है। दो आरोपियों सुशील कुमार झा और प्रमोद कुमार जायसवाल ने अपना जुर्म कबूल लिया, जबकि तीन आरोपियों दीपेश चांडक, आरके दास और शैलेश प्रसाद सिंह को सरकारी गवाह बना दिया गया है।
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