हिसार
प्रदेश सरकार की साफ नीति न होने के कारण रोडवेज विभाग में टकराव की स्थिती बनती जा रही है। हालात ये है कि ये टकराव कभी भी विकराल रुप धारण कर सकता है। करीब 3 माह पहले प्रदेश सरकार द्वारा नई परिवहन नीजि बसों को परमिट अलाट किए गए थे।लेकिन नए परमिट अलाटमैंट के खिलाफ रोडवेज यूनियनों ने कई खामियां निकालते हुए आंदोलन शुरु कर दिया। रोडवेज यूनियन के आंदोलन के चलते सरकार ने नई परिवहन नीति वापिस लेने का आश्वासन दे दिया। इसके चलते कर्मचारियों ने आंदोलन स्थगित कर दिया। लेकिन इसी दौरान अधिकारियों ने इन नीति बसों को समय सारिणी भी दे दी। समय सारिणी मिलने के बाद नीजि बस संचालक सवारी लेने बस अड्डे पर आए तो रोडवेज यूनियनों एकमत होकर पूरे प्रदेश में चक्का जाम कर दिया। करीब 4 दिन बाद सरकार की नींद टूटी और रोडवेज यूनियनों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया।
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इस दौरान सरकार ने नए आदेशों के जारी न होने तक नई परमिट की नीजि बस ना चलाने के ऐलान कर दिया। इसके बाद चक्का जाम वापिस ले लिया गया।
लेकिन यहां से एक नई राजनीति की शुरुवात हो गई। नई परमिट की नीजि बस संचालकों ने कभी जींद, कभी सिरसा तो कभी हिसार…तो कभी किसी अन्य डिपो पर बसें लगानी शुरु कर दी। जिस भी डिपो में बसें लगती उसी में चक्का जाम होने लगा। और इसके बाद अधिकारी रोडवेज यूनियनों को नई परमिट की नीजि बस न चलने का आश्वासन दे—देकर चक्का जाम खुलवाने लगे। चौकान्ने वाली बात तो ये है कि ये खेल पिछले 3 माह से प्रदेश में चल रहा है, लेकिन सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं ले पा रही है। अब हालात ये हो गए है कि नीजि बस संचालकों औ रोडवेज कर्मचारियों में हाथापाई तक होने लगी है। दोनों तरफ के तेवरों को देखकर भविष्य में बड़े टकराव के आसार बनने लगे है।ये भी पढ़े— चोरी और सीनाजोरीरवार सुबह हिसार बस स्टैंड परिसर में बूथ नंबर एक से सवारियां भरने को लेकर नीजि बस संचालाकों और रोड़वेज कर्मचारियों के बीच हाथापाई तक हो गई। इसके बाद आरटीओ सुमित कुमार ने मौक पर पहूंच कर करीबन एक दर्जन बसों को बस स्टैंड परिसर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद हालात सामान्य हो गए। लेकिन दोपहर बाद एक बार फिर नीजि बसें, बस स्टैंड परिसर से सवारियां उठाने लगी। लेकिन रोडवेज कर्मचारियों ने इसका विरोध जताया। विरोध के चलते एक बार फिर आटीओ सुमित कुमार बस स्टैंड परिसर पहुंचे और चार नीजि बसों को इंपाउंड किया। इसके गुस्साएं नीजि बस संचालाकों ने आरटीओ के खिलाफ नारेबाजी भी की।
नीजि बस संचालकों की परेशानी
नीजि बस संचालक यूनियन के प्रधान श्रीपाल ने बताया कि सरकार ने उनको परमिट दिया। इसके बाद अधिकारियों ने समय—सारिणी दी। लेकिन रोडवेज यूनियनों के विरोध के बाद उनकी बसों को आरटीओ लगातार जब्त कर रहा है और चलान काट रहा है। बसों को बूथ पर नहीं लगाने दिया जा रहा है। उन्होंने बसें लोन पर निकलवाई है। ऐसे में यदि वे बस नहीं चलायेंगे तो किश्त कहां से भरेंगे। साथ ही कर्मचारियों का वेतन कहां से देंगे।
रोड़वेज यूनियन का दावा परमिट हुए रद्द
वहीं रोडवेज यूनियन के प्रदेश महासचिव रमेश सैनी का कहना है कि सरकार ने पिछले दिनों जारी की गई परिवहन नीति को वापिस ले लिया है। इसके साथ ही इस पॉलसी के तहत जारी परमिट्स भी रद्द कर दिए गए है। जब तक नई परिवहन नीति जारी नहीं होगी, इन बसों को चलने की अनुमति नहीं है। इनकी गिनती अब अवैध सवारी ढ़ोने वाले वाहनों में ही हो सकती है।
मानकों को करना होगा पूरा— आरटीओ
वहीं इस पूरे वाक्य में आरटीओ सुमित कुमार का कहना है कि सरकार ने नई परिवहन नीति में निजी बस संचालाकों के लिए के लिए 39 मानक निर्धारित किए हैं। जो बस इन मानकों की अवहेलना करती है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।