राजस्थान

बिश्नोई समाज में अब 16 की बजाय 12 दिन का होगा शोक,संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने मुकाम मेले में की घोषणा

बीकानेर,
बिश्नोई समाज में अब मृत्यु होने पर 16 दिन की बजाय 12 दिन का शोक होगा। यह अहम घोषणा आज बीकानेर के मुकाम में आयोजित फाल्गुन मेले में पूरे देश से उमड़े बिश्नोई समाज को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने की। विदित रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल ने भी बिश्नोई समाज में 29 दिन का शोक घटाकर 16 दिन का कर दिया था और अब समय के साथ तथा समाज की मांग को देखते हुए कुलदीप बिश्नोई ने समाज के सभी संतों, प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों तथा आम जनमानस के साथ विचार विमर्श करके बिश्नोई समाज में शोक के दिनों को घटाने का ेऐलान किया। कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि वैसे तो किसी भी परिवार के लिए पारिवारिक सदस्य के जाने से आजीवन उसका शोक समाप्त नहीं होता, परंतु समय के साथ-साथ चलना पड़ता है। पिछले कई वर्षोँ से यह मांग समाज की ओर से उठ रही थी, इसलिए इस दिशा में यह कदम उठाया गया है। इस दौरान गौ सेवक संत गोपालदास भी उपस्थित थे। 

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कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि गुरू जंभेश्वर महाराज ने 16वीं शताब्दी में मानव समाज को एक नई वैचारिक क्रांति दी थी और अपनी वाणी, जिसे बिश्नोई समाज में पंचम वेद अर्थात चारों वेदों का सार माना जाता है के द्वारा पुरातन वैदिक परम्परा को कायम किया तथा यज्ञ के महत्व को सार्थक करते हुए इसे पर्यावरण शुद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक बताया था। बिश्नोई समाज ने वन, वन्य जीव एवं प्रकृति व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों के अनेक बार आहुति दी है। वृक्षों की रक्षा के लिए स्त्री-पुरूष और यहां तक की नन्हें बच्चे और बच्चियों ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे। जोधपुर से 22 किलोमीटर दूर स्थित खेजड़ली ग्राम में विक्रम सम्वत 1787 को बिश्नोई समाज के 363 पुरूष, महिलाओं व बच्चों ने पेड़ों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। धर्म व पर्यावरण के प्रति दृढ़ता के अनुकरणीय उदाहण बिश्नोई समाज में मिलते हैं। कुलदीप बिश्नोई ने समाज के लोगों को आह्वान किया कि हमारा गौरवशाली इतिहास हमें सिखाता है कि जीव व पर्यावरण रक्षा करना हर बिश्नोई का नैतिक धर्म है। गुरू महाराज के नियमों को अपने जीवन में ढालकर हम हर समस्या से निजात पा सकते हैं। सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए हमें संतों की बताई बातें अपने जीवन में ढालनी चाहिए। 

कुलदीप बिश्नोई ने लोगों को गुरू जाम्भो जी महाराज के आदर्शों पर चलते हुए पर्यावरण व जीव रक्षा की दिशा में और ज्यादा काम करने का आह्वान किया। उन्होंने लोगों से कहा कि सभी ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाएं। कुलदीप बिश्नोई ने कहा समाज को एकजुट होकर समाजसेवा की दिशा में आगे बढऩा होगा। जननायक चौ. भजनलाल ने ताउम्र गुरू जम्भेश्वार महाराज के आदर्शों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। अपना पूरा जीवन उन्होंने जनसेवा में लगा दिया। उन्हीं की नीतियों पर चलते हुए वे सदैव ईमानदारी से जनसेवा के कार्यों में अपना योगदान देने का प्रयास करते रहेंगे। कुलदीप बिश्नोई उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने बच्चों को समाज के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताएं तथा वन्य जीव, पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूक करें। उन्होंने कहा कि जब पृथ्वी पर पाप व अत्याचार बढ़ गए थे और अधर्म लोगों पर हावी हो गया था, जो गुरू महाराज ने बिश्नोई धर्म की स्थापना की थी। गुरू महाराज के बताए 29 नियमों में जीवन का पूरा सार है और इन 29 नियमों को अपने जीवन में अपनाकर हम अपनी समस्याओं और विकारों को दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश, दुनिया कितनी भी आगे क्यों न बढ़ गई हो, परंतु आज भी समाज में अनेक कुरीतियां, अंधविश्वास, अज्ञानता तथा समस्याएं का देखी जा सकती है। कन्या भू्रण हत्या, जीव हत्या, पर्यावरण प्रदूषण, धर्म, जातिवाद के नाम पर भेदभाव सहित अनेक ऐसी समस्याएं हैं, जो आज भी देखी जा सकती हैं। गुरू जंभेश्वर महाराज के 29 नियमों का प्रचार, प्रसार करके लोगों के बीच नियमों का पालन करने से हम सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। 

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इस अवसर पर फलौदी के विधायक पब्बारमाम, महासभा के अध्यक्ष हीराराम भंवाल, पूर्व विधायक हीरालाल, पूर्व संसदीय सचिव दुड़ाराम, रामस्वरूप मांझू, हुकमाराम, हनुमान गोदारा, विनोद धारणिया, रामस्वरूप धारणिया, सोम प्रकाश सिगड़, देवेन्द्र बुढिय़ा, सुभाष देहूडू, वेद कड़वासरा, सहदेव कालीराणा, राम सिंह कसवा, सीताराम मांजू, रूपाराम कालीराणा, मनोहर लाल कडवासरा, मालाराम, राजा राम धारणिया, राजेन्द्र खिलेरी, अशोक गोदारा, रणधीर पनिहार, रामनिवास बुधनगर, अनूजा बिश्नोई, ओम प्रकाश, बीरबल, रावल ज्याणी, भागीरथ बैनीवाल, कान्हाराम, भेराम राम, कृष्ण राहड़, राजाराम खिचड़ सहित संत समाज उपस्थित था।

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