नई दिल्ली,
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 से देश में जीएसटी को कठिन से कठिन बनाकर व्यापारी व उद्योगपतियों पर लागू कर के देश के व्यापार पर अंकुश लगा दिया है। विश्व बैंक ने भी कहा है कि भारत में लागू जीएसटी टैक्स प्रणाली काफी जटिल है।
राष्ट्रीय महासचिव बजरंग दास गर्ग ने कहा कि भारत में जीएसटी कानून जटिल होने के साथ-साथ पूरे विश्व में टैक्स की दरें भारत देश में सबसे ज्यादा है। यहां तक कि जीएसटी लागू करने से पहले केंद्र सरकार ने वादा किया था कि भारत में एक देश एक टैक्स होगा और देश में टैक्स की दरें अन्य देशों के मुकाबले कम होंगी। भारत एक देश तो है मगर जीएसटी के तहत एक टैक्स की बजाए अलग-अलग प्रकार के पांच टैक्स की दरें जनता पर थोपी गई है, जिसमें टैक्स फ्री के अलावा 3, 5,12,18 व 28 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है। उन्होंने कहा कि विश्व के अन्य देशों में एक ही जीएसटी है। 28 देशों में दो स्लैब है वहीं अन्य पांच ऐसे देश हैं जहां पर 4 स्लैब टैक्स लागू है जो कि इटली, लग्जमर्ग, पाकिस्तान व घाना देश है। श्री गर्ग ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने खुद माना था कि भारत में टैक्स की दरें और स्लैब ज्यादा है जिसे 5 स्लैब से घटाकर 2 स्लैब करने के साथ साथ टैक्स की दरें अधिकतम 12 व 18 प्रतिशत करने पर विचार चल रहा है। देश में जीएसटी लागू हुए 9 महीने हो गए हैं मगर अभी तक जीएसटी से टैक्स की दरें व स्लैब कम नहीं किया गया जिसके कारण देश में व्यापार पूरी तरह से पिछड़ता जा रहा है। जिन वस्तुओं पर 5 व 12.5 प्रतिशत टैक्स था उसे बढ़ाकर 28 व 18 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है और जिस पेट्रोल पर लगभग 57 प्रतिशत टैक्स है उस पर टैक्स कम करके जीएसटी के दायरे में नहीं लिया गया जो देश की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है।
बजरंग दास गर्ग ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों के करोड़ों-अरबों रुपए रिफंड के बकाया पड़े हैं। व्यापारियों के रिफंड ना मिलने से व्यापारियों के व्यापार पर सीधा बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह व्यापारी, उद्योगपति व आम जनता के साथ साथ भारत देश के हित में टैक्स की दरें कम करके टैक्स का स्लैब अधिक से अधिक दो प्रकार का किया जाए और पैट्रोल और डीजल पर टैक्स की दरें कम करके उसे भी तुरंत प्रभाव से जीएसटी के दायरे में लाया जाए ताकि देश में जो लगातार व्यापार व उद्योग पिछड़ता जा रहा है उसे बचाया जा सके।