हिसार

दवा घोटाला : हिसार का नागरिक अस्पताल संदेह के घेरे में

हिसार (कुलश्रेष्ठ)
स्वास्थ्य विभाग में दवा व अन्य सामान खरीद को लेकर सांसद दुष्यंत चौटाला द्वारा उजागर किए गए करोड़ों के घोटाले की जांच के दायरे में हिसार सिविल अस्पताल भी है।
सूत्रो के अनुसार इस मामले की आरंभिक जांच में टीम केे समक्ष एक तथ्य सामने आया है, जिसमें दवा तथा अन्य प्रकार के उपकरणों की खरीद मेें एक ही दुकान से करीबन एक महीने तक खरीद हुई और बिल संख्या सीरियल में है। यानि लगातार एक महीना सामान खरीदा गया और उस दुकान की बिल बुक में बिल नंबर सीरियलवाइज प्रस्तुत हैं। संदेह इस बात का है कि क्या इस दुकान से इस एक महीने के दौरान सिविल अस्पताल के अलावा और कहीं सामान नहीं बेचा गया। टीम ने इस पहलू को जांच में शामिल किया है और जल्द ही रिपोर्ट उच्च अधिकारियों के समक्ष भी रखी जाएगी।
सूत्रों की मानें अस्पताल में यह बात पहले भी चर्चा का विषय बनी थी और स्थानीय कर्मचारियों ने इस बारे में अपने अधिकारियों को बताया भी था। मगर उच्च अधिकारियों द्वारा इस तरह से बिलों को स्वीकृत करने पर कर्मचारियों ने चुप्पी साध ली थी। हाल ही में जब सांसद द्वारा दवा और अन्य सामान खरीद में हुए घोटाले को लेकर हिसार में भी जांच आरंभ की गई तो यह मामला दोबारा उभर गया है। फिलहाल इस घोटाले की आरंभिक जांच में दो सदस्यीय टीम हिसार सिविल अस्पताल आई है और वह वर्ष 2014, 2015 और 2016 के दौरान खरीदी गई दवा और अन्य सामान को लेकर बिल सहित तमाम दस्तावेजों की गहनता से जांच कर रहे हैं।
सिविल अस्पताल में सफाई व सुरक्षा व्यवस्था में भ्रष्ष्टाचार की बू
हिसार सिविल अस्पताल में सफाई और सुरक्षा को लेकर स्थानीय अधिकारियों ने ठेका दिया था। ठेका लेने वाले व्यक्ति ने नियमों के अनुसार 140 के करीब कर्मचारियों को नियुक्त करना था। सूत्रों की मानें तो ठेकेदार ने अस्पताल में काम करने के लिए कर्मचारियों की संख्या तो अपेक्षाकृत कम रखी, मगर दस्तावेजों में नियमों के अनुसार कर्मचारियों की नियुक्ति दिखाकर वेतन रिलीज करवाता रहा। हाल ही में नियुक्त हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इस बारेे में जानकारी मिली और उन्होंने चिकित्सकों की अध्यक्षता में कमेटी बनाई और मामले की जांच आरंभ हुई। कर्मचारियों की प्रतिदिन हाजिरी देखी तो सारा मामला साफ होता चला गया। ठेकेदार ने मान-मनोव्वल किया और आनन-फानन में कुछ कर्मचारियों को नियुक्ति दे दी, जिनके नाम पर वेतन रिलीज हो रहा था। अस्पताल प्रशासन ने फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साधी है, मगर सूत्रों की मानें तो यदि अस्पताल प्रशासन इस मामले की गंभीरता से जांच करे तो इस घोटाले की राशि लाखों में हो सकती है।

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