फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
https://youtu.be/vaoKNN8hUrY
आप सर हों या मैडम? जो भी हो, कोई बात नहीं। मगर मेरी रिक्वेस्ट है कि एक-दो नंबर की कमी हो तो पास कर देना। मैं गरीब हूं..अनाथ भी.. मेरी शादी होने वाली है। फेल कर दिया तो बेइज्जती हो जाएगी। इज्जत की दुहाई देकर परीक्षा पास करना इनकी मजबूरी है अथवा मसखरेपन में ऐसा लिखा, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन परीक्षार्थियों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं में लिखे गए ऐसे भरपूर अनुनय अथवा मसखरापन शिक्षा व्यवस्था व शिक्षार्थियों की बेचारगी भी दर्शाते हैं। यह इकलौती उत्तरपुस्तिका नहीं जिसमें अनर्गल प्रलाप लिखे गए हों।
जरा इन गीतों व डायलॉग पर भी नजर डालिये। बहुचर्चित फिल्मी गीत मेरे रश्के कमर, तेरी पहली नजर .. पहली-पहली बार मोहब्बत की है.. हुआ आज पहली बार.. ऐसे गीत 10वीं की परीक्षा में परीक्षार्थियों ने उत्तरपुस्तिकाओं में खूब लिखे हैं। उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के दौरान ये हकीकत खुद मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों को भी हैरत में डालते हैं।
परीक्षार्थियों ने उत्तर पुस्तिकाओं में कई सहानुभूति के शब्द भी लिखे हैं ताकि जांच कर रहा शिक्षक पास कर दे। अहम बात यह है कि ये सब रेगुलर परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिका में सामने आ रहा है। वहीं कुछ परीक्षार्थियों ने प्रार्थना की है कि उन्हें पास कर दिया जाए। कुछ ने स्माइली बनाकर लेटर लिखा है तो कुछ ने तो हद पार करते हुए सिर्फ इतना लिखा है कि जय बाबे दी, जय माता दी।
इस बारे मे जानकारी देते हुए पेपर चैकिंग कर रही अध्यापिका ने बताया कि दसवीं की हिंदी की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन कार्य चल रहा है जो कि अब अंतिम चरण में है। बुधवार तक कार्य संपन्न हो जाएगी। मूल्यांकन के दौरान कुछ परीक्षार्थियों ने गीत लिखे हैं और कुछ ही पास करने की गुजारिश की है। मूल्यांकन करने वाले शिक्षक को इन बातों से कोई लेना-देना नहीं होता है, परीक्षार्थी द्वारा लिखे गए प्रश्नों के उत्तर के मुताबिक ही नंबर दिए जाते हैं। अगर पास होगा तो पास किया जाएगा, अगर फेल है तो फेल किया जाएगा।
दो नंबर की कमी हो तो पास कर देना प्लीज
दसवीं की उत्तरपुस्तिका में छात्र ने दो नंबर की कमी पर पास करने की गुहार लगाई है तो वहीं एक छात्र ने अपना फोन नंबर लिखते हुए कहा है कि सर प्लीज कॉल मी, सर मुझको पास कर दो। वहीं एक ने लिखा है कि उसके स्कूल में बहुत दोस्त हैं और सभी को लाके तिन्न पेग्ग बल्लिए गीत बहुत पसंद है। वहीं एक ने हरियाणवी सांग लिख डाले हैं। जिनमें छन छन बोले तेरी तागड़ी, ठाडा मलंग, भीड़ा पलंग, मैं चेतक चलाऊं, तन्ने चस्का फरारी का…।
परीक्षा में विद्यार्थियों द्वारा गाने लिखना साफ करता है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था से संस्कार और नैतिकता समाप्त होती जा रही है। ऐसे ये बच्चे युवा होकर समाज को कैसे नेतृत्व देंगे—यह असानी से समझा जा सकता है।