फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
आखिरकार टोहाना जोन में शराब के ठेकों की बोली निर्धारित बेस प्राइज से 50 लाख से अधिक में हुई। इससे आबकारी विभाग को बड़ी राहत ही नहीं मिली, बल्कि ठेका छूटने के कारण फतेहाबाद जिला प्रदेश में 32 फीसदी बढ़ोतरी के साथ टॉप में पहुंच गया है। इससे पहले सोनीपत प्रदेश में 31 फीसदी के साथ टॉप है। गत वर्ष से फतेहाबाद को 16 करोड़ रुपये अधिक राजस्व मिला है। टोहाना की बोली राजनीतिक कारणों के चलते नहीं हो रही थी। बुधवार शाम को टोहाना जोन की बोली चौथी बार हुई। इस बार आबकारी विभाग की छापेमार कार्रवाई रंग लाई। टोहाना की बोली बेस प्राइज से 50 लाख रुपये अधिक हुई। टोहाना की बोली के लिए 8 करोड़ 40 लाख रुपये बेस प्राइज था। जो 8 करोड़ 91 लाख 67 हजार में छूटी। इस दौरान आबकारी विभाग के उपायुक्त वीके शास्त्री, एईटीओ विजेंद्र कुमार, रामकुमार रोज व नोडल अधिकार व तहसीलदार नवजौत कौर बराड़ मौजूद रही।
फतेहाबाद बना टॉप
टोहाना जोन की बोली बुधवार शाम हुई। जो बेस प्राइज से 50 लाख रुपये अधिक में हुई। इसके साथ ही प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व की बढ़ोतरी फतेहाबाद से हुई। फतेहाबाद जिले के सभी 16 जोन से 32 फीसदी अधिक राजस्व मिला। इसके चलते फतेहाबाद अब टॉप में है। फतेहाबाद से बाद अब सोनीपत जोन आ गया है।
– वीके शास्त्री, उपायुक्त, आबकारी एवं कराधान विभाग।
जोरबा वाइन ग्रुप का दबदबा कायम
जिले में सबसे अधिक जोरबा वाइन ग्रुप ने ठेके लिए है। टोहाना जोन का ठेका जीवणा फर्म लेती थी, लेकिन इस बार उससे अधिक राजस्व देकर जोरबा वाइन ने ठेका ले लिया। इसके मालिक तरूण कुमार मेहता के पास जिले के 35 फीसदी से अधिक ठेके है। इन्होंने 16 में से 5 जोन के ठेके लिए है। उसके बाद विनायक व चौधरी वाइन है। इन्होंने तीन तीन जोन के ठेके लिए थे।
छापामार कार्रवाई का हुआ असर
टोहान जोन का ठेका आबकारी विभाग की कार्रवाई के चलते हुआ है। पिछले एक सप्ताह से करीब 160 पेटी शराब की पकड़ी। इसके बाद शराब माफिया अवैध तरीके से शराब बेचने बंद कर गए। इसके चलते चौथी बार में शराब का ठेका हुआ है।
16 करोड़ की रिकार्ड बढ़ोतरी
आबकारी विभाग के पारदर्शिता के चलते राजस्व में 16 करोड़ के रिकार्ड राजस्व की बढ़ोतरी हुई है। जो बेस प्राइज से भी 7 करोड़ रुपये अधिक है। राजस्व विभाग ने इस बार का टारगेट 59 करोड़ रुपये रखा। जबकि उससे भी बढ़कर 66 करोड़ रुपये राजस्व मिला। गत वर्ष 50 करोड़ आबकारी विभाग को शराब के ठेकों से राजस्व मिला था।