आदमपुर (अग्रवाल)
हिंदू—मुस्लिम प्रेम की निशानी बन चुकी खारा बरवाला दरगाह वर्षों से मानवता की सीख दे रही है। खारा बरवाला गांव बंटवारे से पहले मुस्लिम गांव होता था लेकिन देश के बंटवारे के बाद यहां से सभी मुस्लिम परिवार पाकिस्तान चले गए। 1947 के बाद से इस गांव में हिंदू परिवार ही रहते है।
मुस्लमानों के जाने के बाद गांव में बनी पीर दरगाह को हिंदू परिवारों ने संभाले रखा। इसमें मुख्य सेवक के रुप में हिंदू कृष्ण लाल ने लंबे समय तक सेवा की। इस माह उर्स पर्व की पहली रात उनका निधन हो गया। चौकान्ने वाली बात यह है कि जब मुस्लिम परिवार यहां से गए थे तो यहां पर दरगाह के नाम पर केवल एक चारदिवारी थी। लेकिन हिंदूओं ने चंदा एकत्रित करके इसे आलीशान रुप दे दिया।
तब से लेकर आजतक पीर दरगाह की पूरी कमेठी हिंदूओं के नेतृत्व में बनती आई है। यहां पर उर्स, ईद से लेकर रमजान सहित सभी मुस्लिम पर्व हिंदूओं की देखरेख में धूमधाम से बनाए जाते है। धार्मिक कट्टरता से परे यहां केवल और केवल भाईचारे और सद्भावना का पाठ ही पढ़ाया जाता है।
दरगाह पर होली-दिवाली या ईद सब एक साथ मानते है।
आज भी यह नजारा देखने को मिला जब हिन्दू और मुस्लिम भाइयों गले मिलकर ईद की बधाइयां दी। आदमपुर मस्जिद में नमाज अदा होने के बाद भी हिंदू भाइयों ने मुस्लिम भाइयों को गले मिलकर एक दूसरे को ईद की बधाई दी। इस अनूठेपन से सौहार्द की भावना झलक उठी। इस दौरान कांग्रेस नेता सतेंद्र सिंह ने कहा कि त्यौंहार हमें एक-दूसरे से मिलजुलकर रहना सिखाता है। इसके अलावा प्यार और मोहब्बत का पैगाम देता है।
वहीं जवाहर नगर स्थित मस्जिद में ईद की नमाज अदा की गई। नमाज अदा करने के बाद देश मे अमन चैन और भाईचारे की दुआ मांगी गई। इसके बाद मुस्लिम भाईयों ने एक दूसरे को गले लगाकर बधाईयां दी।