हिसार

अनशन पर महिला की बिगड़ी तबीयत..निर्दयी बनी सरकार

हिसार,
इन्हासमेंट के खिलाफ हुडा कार्यालय के समक्ष चल रहे धरने व क्रमिक अनशन की वजह से एक महिला चक्कर खाकर गिर पड़ी। आसपास की महिलाओं ने उसे संभाला और जल पिलाकर उसे घर जाने को कहा लेकिन उक्त महिला व साथ आई अन्य महिलाएं यह कहते हुए धरनास्थल पर डटी रही कि जब तक सरकार एवं हुडा प्रशासन उनकी बात नहीं सुनेगा, तब तक वे किसी कीमत पर यहां से नहीं जाएंगी, चाहे उन्हें आमरण अनशन ही क्यों न करना पड़े।
हुडा कार्यालय पर चल रहे धरने व क्रमिक अनशन के शुरू होने के कुछ देर बाद ही सेक्टर की महिला पूनम ग्रेवाल को चक्कर आ गया। गर्मी व उमस की वजह से उक्त महिला को चक्कर आया। साथ आई महिलाओं ने उसे संभाला और पानी पिलाकर उसे होश में लाया गया। इसके बावजूद महिलाएं धरनास्थल पर यह कहते हुए डटी रही कि सरकार एवं हुडा अधिकारियों ने सेक्टरवासियों को मरने को मजबूर तो कर ही रखा है, फिर क्यों न वे आंदोलन करते हुए मरें ताकि किसी को पता जो चले। महिलाओं के ऐसे स्वर सुनकर सेक्टरवासियों में आंदोलन के प्रति जोश व सरकार एवं हुडा अधिकारियों के प्रति रोष भर गया और उन्होंने और जोर-शोर से आंदोलन चलाने का ऐलान किया, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों न करना पड़े।
इस अवसर पर सेक्टर एसोसिएशन के प्रधान जितेन्द्र श्योराण ने कहा कि सरकार सेक्टरवासियों के साथ शोले फिल्म के गब्बर सिंह की तरह व्यवहार कर रही है। जैसे गब्बर सिंह का कोई परिवार नहीं था वैसे ही हमारे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का भी कोई परिवार नहीं है लेकिन फिर भी सेक्टरवासियों को लूटा जा रहा है और ये जनता की आवाज भी नहीं सुन रहे। इतनी गर्मी में कभी हमारे बच्चों को 3-3 घंटे तक बाहर बैठा कर रखा जाता है और जब वे अंदर जाते हैं तो उनके लिए पुलिस बुलाई जाती है और आज फिर जब महिला इतनी गर्मी में इतने दिनों से लगातार भूखे पेट अनशन पर बैठे हुए हैं, गर्मी में उनकी तबीयत खराब हो रही है तो भी प्रशासन की आंख नहीं खुल पा रही है। उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा कि यदि अभी सरकार नहीं जागी तो सेक्टरवासी किसी कड़े आंदोलन को मजबूर हो जाएंगे। इस महीने के अंत तक अगर सरकार हमारी दोबारा गणना करवाने की बात नहीं सुनती है तो एक अगस्त से सेक्टरवासी कड़े आंदोलन को विवश होंगे।
मंगलवार को क्रमिक अनशन पर बैठने वालों में एसोसिएशन के उप प्रधान कृष्ण संधू, सह सचिव मुलखराज मेहता, एसके भारद्वाज, भगवान दास खट्टर, महावीर सिंह पानू, अशोक आनंद, ताराचंद तिरेतिया, शामिल रहे। इसके अलावा त्रिलोक बंसल, इंद्रकुमार, ओपी चावला, एमएस पूनिया, प्रेम सिवाच, रामेश्वर मलिक, बारू राम, साहिल दलाल, चंद्रभान, रमेश अरोड़ा, इंद्रसिंह लोहान, चतर सिंह नारवाल, संदीप बजाज, बलवंत राय, सरदारी लाल, रामधन ठकराल, एमएसनैन, जगदीश जांगड़ा, एचसी दुआ, पीपी अरोड़ा, आरके गोयल, सत्यनारायण गोयल, मुकेश रानी, भतेरी देवी, राजबाला, कलावती, दादी भानी देवी, शांति देवी, चमेली, विजय रानी, कृष्णा देवी, बिमला ग्रेवाल, माया देवी, सुमित्रा सांगवान, सुमन मलिक, कृष्णा नेहरा, कमला वर्मा, रोशनी दलाल, प्रकाशी, माया देवी, गीता, सुमित्रा, मामकोर, शीला, संतोष, भागवंती गोहानी, रिसाली देवी व पूनम ग्रेवाल सहित सैंकड़ों सेक्टर निवासी मौजूद थे।

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