हिसार,
हरियाणा की बीजेपी सरकार देश में प्रदेश की लाईफ लाईन के नाम से पहचान बना चुकी हरियाणा रोड़वेज की बसों का अस्तित्त्व खत्म करने के प्रयास में जुटी हुई है परंतु रोडवेज कर्मचारियों की एकता के सामने सरकार अपने मकसद में कामयाबी हासिल नहीं कर पाएगी। यह बात आज हरियाणा कर्मचारी महासंघ से संबंधित रोडवेज कर्मचारी यूनियन के जिला प्रधान राजपाल नैन ने एक बयान जारी कर कही।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार पूंजीपति और धनाड्य लोगों के इशारे पर परिवहन जैसे जनहित विभाग को निजी हाथों में सौंपने का काम कर रही है, जो प्रदेश की जनता व समाजहित में नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रदेश की परिवहन व्यवस्था उस प्रदेश के विकास का अहम हिस्सा होती है और प्रदेश के मुखिया की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने प्रदेश के लोगों को सुरक्षित व सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाए, जिसको रोडवेज कर्मचारी बसों की संख्या कम होने के बावजूद बखूबी निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रोडवेज की बसें जहां एक ओर जनता को सुरक्षित व सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाती हैं उसी के साथ-साथ प्रदेश के सरकारी खजाने को भरने में भी सहायक होती हैं। उन्होंने कहा कि जहां निजी बसें यात्रा कर के रूप में प्रति माह प्रति बस 8 हजार से लेकर 12 हजार रुपये जमा कराती हैं वहीं रोडवेज की बसें प्रति माह प्रति बस एक महीने में मार्ग पर जितनी राशी रोडवेज के खजाने में जमा होती है, उसका एक चौथाई हिस्सा यात्री कर के रूप में सरकारी खजाने में जमा कराती है जो निजी बसों के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है। इसके साथ-साथ सरकार को माननीय दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को भी ध्यान में रखना चाहिए, जिसमें कई बरसों पहले दिल्ली में जो लाल और नीली पट्टी वाली निजी बसें चलती थी, उन बसों से होने वाली दुर्घटनाओं के कारण उन्हें किलर बस के नाम से जाना जाता था और वहां की जनता के विरोध के कारण व उन बसों की मनमानी के कारण माननीय हाई कोर्ट को आदेश पारित करने पड़े थे कि दिल्ली सरकार निजी बसों की बजाय सरकारी बसों को खरीद कर रोडवेज बेड़े में शामिल करे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश का कोई भी वर्ग छात्र, किसान, दुकानदार व अन्य कोई भी निजी बसों की मांग नहीं कर रहा है और प्रदेश के जिन गांवों के मार्गों पर निजी बसें दौड़ रही हैं वहां की जनता भी निजी बसों को हटाकर रोडवेज बसें चलाने की मांग कर रही है लेकिन फिर भी सरकार राज्य के इस कमाऊ विभाग को निजी हाथों में सौंपने का काम कर रही है, जोकि सरासर गल्त है। उन्होंने कहा कि रोडवेज कर्मचारी एकजुट हैैं और सरकार के खिलाफ आगामी 5 सितंबर को होने वाले चक्का जाम में अहम भूमिका निभाएंगे।