हिसार

अब बिकेगा गोबर, गोबरधन योजना से रसोई तक पाइपलाइन से पहुंचाई जाएगी सस्ती गैस

हिसार,
बरवाला के नया गांव में गोबरधन योजना के तहत हरियाणा का पहला और उत्तर भारत का दूसरा गोबर गैस प्लांट लगेगा। इसका शिलान्यास आज अतिरिक्त उपायुक्त अमरजीत सिंह मान ने किया। इस अवसर पर उकलाना मार्केट कमेटी के चेयरमैन सतपाल शर्मा भी उपस्थित रहे।

राज्य स्तरीय पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लगने वाले इस प्लांट के लिए प्रदेश सरकार ने 90 लाख रुपये दिए हैं। यह प्लांट लगने से गांव को कई फायदे होंगे। प्लांट के लिए जहां एक तरफ ग्रामीणों से गोबर खरीदा जाएगा वहीं घर-घर तक पाइप लाइन पहुंचाकर उन्हें सस्ती गैस दी जाएगी। गांव के युवाओं को रोजगार और खेतों के लिए गुणकारी जैविक खाद भी इस प्लांट से उपलब्ध होगी।

दरअसल उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने कुछ समय पहले गोबरधन योजना के स्टेट प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर आरके मेहता से हिसार में यह प्रोजेक्ट स्थापित करवाने को कहा था। इसके पश्चात अतिरिक्त उपायुक्त अमरजीत सिंह मान ने बरवाला के नया गांव को इस योजना के लिए चुना और इसे आदर्श गांव बनाने के लिए प्रशासन की ओर से इसमें कई प्रयोग एक साथ शुरू करवाए। उन्होंने गोबरधन योजना का प्रोजेक्ट बनाकर प्रदेश सरकार को भेजा था जिसके संबंध में पंचायत एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव ने कल 28 अगस्त को चंडीगढ़ में सभी जिलों के अधिकारियों की बैठक ली थी। बैठक में हिसार द्वारा गोबरधन प्रोजेक्ट भेजने पर जिला प्रशासन की जमकर सराहना की गई तथा अन्य जिलों को भी ऐसे प्रयोगों को अपनाने की नसीहत दी गई। इसी बैठक में नया गांव के प्रस्ताव के लिए 90 लाख रुपये मंजूर किए गए।

अतिरिक्त उपायुक्त अमरजीत सिंह मान ने आज नया गांव में इस पायलेट प्रोजेक्ट के एक प्लांट का शिलान्यास किया। प्रथम चरण में एक प्लांट शुरू होने के बाद दूसरे प्लांट का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। अतिरिक्त उपायुक्त ने ग्रामीणों को बधाई दी कि उनके गांव में हरियाणा की पहली और उत्तर भारत की दूसरी गोबरधन परियोजना शुरू हो रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट से ग्रामीणों को अनेक फायदे होंगे जिसके संबंध में उन्होंने लोगों को विस्तार से जानकारी दी।

एडीसी मान ने बताया कि प्लांट के लिए जल्द ही ट्रैक्टर-ट्राली खरीदी जाएगी जो गांव के घर-घर जाकर गोबर एकत्र करेगा। गोबर के लिए ग्रामीणों को 10 पैसे प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया जाएगा। इससे एक तो महिलाओं को सिर पर गोबर उठाकर गांव से बाहर डालकर आने वाली परेशानी से मुक्ति मिलेगी, दूसरे इस गोबर से उत्पन्न होने वाली गंदगी और बीमारियों पर भी रोक लगेगी। प्लांट में इस गोबर से बनने वाली गैस को पाइपलाइनों के माध्यम से 10 रुपये क्यूबिक मीटर की दर से गांव के घर-घर पहुंचाया जाएगा। प्रत्येक कनेक्शन पर मीटर लगवाया जाएगा जबकि आईएसआई मार्का लगा बर्नर ग्रामीणों को खुद लगाना होगा। प्लांट से गैस मिलने पर ग्रामीणों का गैस पर होने वाला खर्च लगभग एक-तिहाई रह जाएगा। प्लांट से सामान्य खाद के मुकाबले पांच गुणा अधिक गुणवत्ता की खाद निकलेगी जिसे 800 रुपये टैंकर की दर से किसानों को बेचा जाएगा।
उन्होंने बताया कि गोबर गैस प्लांट का संचालन करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी जिसके आधे सदस्य सरकारी तथा आधे गैर सरकारी होंगे। प्लांट में काम करने के लिए नया गांव के युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। गांव से काम करने वाले न मिलने पर अन्य नजदीकी गांवों के युवाओं को रखा जाएगा। प्लांट से पंचायत घर, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्रों तथा अन्य सार्वजनिक संस्थानों को भी कनेक्शन दिए जाएंगे। गोबर गैस प्लांट पूरी तरह से भूमिगत होगा जिसके ऊपर पार्क विकसित किया जाएगा।

प्रशासन द्वारा गोबर गैस प्लांट के अलावा नया गांव को आदर्श गांव बनाने के लिए यहां कई अन्य योजनाएं भी शुरू की गई हैं जिन्हें सिरे चढ़ाने में गांव के सरपंच मनजीत सिंह भी खूब जी-जान लगा रहे हैं। गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय के बिल्कुल सामने एक तालाब होता था जिसमें गांव की निकासी का गंदा पानी भरा रहता था जो स्कूल के माहौल को तो खराब करता ही था, इसमें पनपने वाले मक्खी-मच्छर भी बीमारियों का कारण बन रहे थे।

प्रशासन की मदद और ग्रामीणों के सहयोग से आज इस तालाब के स्थान पर पार्क है जिसमें छोटे-छोटे पौधे और घास, बच्चों के लिए झूले, ग्रामीणों के बैठने के लिए शैड तथा बैंच लगाए गए हैं। 10.80 लाख रुपये की लागत से बने इस पार्क में इंटरलॉकिंग टाइलों से पक्के रास्ते बनवाए गए हैं। इस पार्क में आकर कोई नहीं कह सकता कि यह किसी गांव का पार्क हो सकता है और यहां कभी बदबूदार तालाब होता था। पार्क के साथ ही 27 लाख रुपये की लागत से बनने वाले गांव के सचिवालय और 7.5 लाख रुपये से बनने वाली सामान्य चौपाल के निर्माण का कार्य चल रहा है।

सरपंच मनजीत सिंह ने बताया कि गांव में लगभग 30 लाख रुपये की लागत से 3 आंगनवाड़ी केंद्रों के भवन, लगभग 27 लाख रुपये से व्यायामशाला, 12 लाख रुपये से पशु अस्पताल, लगभग 10 लाख रुपये से 6 गलियां बनवाई गई हैं। साथ ही शमशान घाट की चारदिवारी तथा सडक़ भी बनवाई गई है। उन्होंने बताया कि गांव से गुजरते हुए जिन खाली स्थानों पर गंदगी पड़ी थी उसे उठवाकर इन स्थानों पर लगभग 1500 फुट दिवारें बनवाई गई हैं जिन्हें तीन रंगों से रंगा गया है जो गांव के माहौल को खूबसूरत बनाती हैं। गांव के स्कूल में आजकल शौचालयों व स्थाई पक्के मंच का निर्माण कार्य चल रहा है। स्कूल में ही सरपंच द्वारा एक पुस्तकालय खुलवाया गया है जहां बच्चों के पढऩे के लिए पुस्तकों की व्यवस्था की गई है।

जिला परियोजना अधिकारी डॉ. राजकुमार नरवाल कहते हैं कि जिला प्रशासन की पहल, ग्रामीणों का सहयोग तथा सरपंच की प्रगतिशील सोच के समायोजन से नया गांव बहुत तेजी से नया स्वरूप लेता जा रहा है। इसमें किए जा रहे सफल प्रयोग जिला के दूसरे गांवों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे तथा अन्य गांव भी नया गांव की राह पर चलते हुए अपने लिए स्वच्छता, जागरूकता तथा भाईचारे की नई मिसाल कायम करेंगे।

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