हिसार

कर्मचारी नेताओं की सेवा समाप्त कर कर्मचारियों का मनोबल तोडऩे की कोशिश कर रही सरकार: कमेटी

हिसार,
भाजपा सरकार दमन के रास्ते पर चलकर डंडे व एस्मा जैसी कार्यवाही के दम पर रोडवेज के आंदोलन को रोक नहीं पाएगी। यह बात रोडवेज तालमेल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य एवं कर्मचारी नेता राजपाल नैन, रामसिंह बिश्रोई, अरुण शर्मा, रमेश माल, कुलदीप मलिक व पवन बूरा ने एक संयुक्त बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारी नेताओं की सेवा समाप्ति जैसी कार्यवाही करके कर्मचारियों के मनोबल को तोडऩे का काम कर रही है लेकिन इस प्रकार की कार्यवाही से रोडवेज कर्मचारी डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि तालमेल कमेटी के बैनर तले चल रही हड़ताल अब तक की सबसे सफल हड़तालों में से एक है। उन्होंने कहा कि तालमेल कमेटी केवल मुख्यमंत्री से बातचीत करेगी, क्योंकि यह मामला केवल उन्हीं के अधिकार क्षेत्र का है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा जिन 720 बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत चलाने का समझौता किया गया है, उन बस मालिकों को 36 रुपये से लेकर 39 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से हायर किया गया है और उन बसों में परिचालक सरकार का होगा। इसके विपरीत सरकार ने हड़ताल के दौरान 3 दिनों के लिए जो बसें हायर की हैं, उनको 30 रुपये प्रति किमी देने की बात कही है, जिनमें परिचालक भी प्राईवेट होगा। कर्मचारी नेताओं ने इस बात को स्पष्ट किया कि यदि कोई बिजनेसमैन अपने बिजनेस में से आपातकालीन में कोई माल किसी को भी देता है तो स्वाभाविक है कि उसका रेट महंगा होगा परंतु यहां परिस्थिति बिलकुल विपरीत है। निजी बस मालिक समेत परिचालक अपनी बस 30 रुपये प्रति किमी दे रहे हैं और सरकार द्वारा प्राईवेट ऑपरेटर को सरकारी परिचालक मुहैया करवाकर 36 से 39 रुपये तक समझौता किया है, जो बड़े घोटाले की तरफ ईशारा कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इस समय सरकार द्वारा जो बसें चलाई जा रही हैं, उनमें अधिकतर के पास केवल एजेंसी के बिल हैं। न तो वे बसें विभाग द्वारा पासिंग की गई हैं और ना ही उसके पास कोई बीमा व आरसी जैसे कागजात हैं, जो कि सरासर ट्रैफिक नियमों का उलंघन है।

कर्मचारी नेताओं ने स्पष्ट किया कि रोडवेज का कर्मचारी हड़ताल पर जाना ही नहीं चाहता था, ये हड़ताल तो सरकार द्वारा करवाई जा रही है। तालमेल कमेटी ने सरकार को 16 व 17 अक्तूबर को दो दिन की हड़ताल का नोटिस दिया, जिसमें सरकार की जिम्मेदारी बनती थी कि वो नेताओं को बातचीत के लिए बुलाए परंतु सरकार द्वारा ऐसी कोई पहल ही नहीं की गई, जिस कारण कर्मचारियों को मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ा। कर्मचारी नेताओं ने बेरोजगार युवाओं से अपील करते हुए कहा कि रोडवेज कर्मचारी यह हड़ताल अपनी तनख्वाह व भत्ते बढ़ाने के लिए नहीं कर रहे है बल्कि सही मायने में देखा जाए तो असली लड़ाई तो युवाओं का रोजगार बचाने की है। यदि सरकार तालमेल कमेटी की मांग अनुसार रोडवेज बेड़े में 8 हजार बसें शामिल करती है तो प्रदेश के लगभग 50000 युवाओं को रोडवेज में सरकारी नौकरी उपलब्ध होगी क्योंकि 1 बस के लिए 6 कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ती है। इसलिए प्रदेश के युवा वर्ग से अपील है कि वो हड़ताल में रोडवेज कर्मचारियों का साथ दें। कर्मचारी नेताओं ने रोडवेज प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि रोडवेज की टिकटें कोई कागज का टुकड़ा नहीं है बल्कि यह एक सरकारी करंसी है और जो अधिकारी एक प्राईवेट आदमी को 10-15 हजार रुपये की टिकटें देकर बस में बतौर परिचालक डयूटी पर भेजते हैं तो उस आदमी की क्या गारंटी है कि वो पारदर्शिता से काम करेगा और उन टिकटों का वितरण सही ढंग से करेगा, इसका ताजा उदाहरण एक पुलिस कर्मचारी के निलंबन का है।

उन्होंने कहा कि रोड़वेज विभाग सीधे तौर पर जनहित का विभाग है और प्रदेश का कोई भी वर्ग प्राईवेट बसों को नहीं चाहता है, फिर भी सरकार प्रदेश की जनता की भावनाओं के खिलाफ जाकर सरकारी बसों को चलाने की बजाय प्राईवेट बसें चलाने पर अड़ी हुई है। कर्मचारी नेताओं ने सरकार से आग्रह किया कि वो रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल से सबक ले व तालमेल कमेटी से आमने-सामने बैठ कर बातचीत करे व समस्या का समाधान निकाले। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार बातचीत न करके दमन व लाठी के बल पर हड़ताल को खुलवाना चाहती है तो रोडवेज कर्मचारी भी इस जनहित के विभाग को बचाने के लिए आखरी सांस तक लडऩे व बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटेंगे।

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