हिसार

गाय को जोडक़र ही पूरी होगी स्वदेशी की अवधारणा : गंगवा

डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा ने की स्वदेशी मेले में शिरकत

हिसार,
हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति का मूल है। वेद-पुराणों में भी गाय को माता और इसके दूध को अमृत बताया गया है। स्वदेशी की अवधारणा को भी गाय को जोडक़र ही पूरा किया जा सकता है।
डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा आज पुराने राजकीय महाविद्यालय मैदान में आयोजित स्वदेशी मेले-2020 में गोरक्षा महासम्मेलन में उपस्थितगण को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने ऐच्छिक कोष से मेले के आयोजन के लिए 2 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की। श्री गंगवा ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा स्वदेशी मेले के आयोजन की कल्पना को मूर्तरूप देना सराहना का कार्य है लेकिन साथ ही स्वेदशी को बढ़ावा देने की बात गोमाता को शामिल किए बिना संभव नहीं होगी। गाय कभी हमारी संस्कृति का अनिवार्य अंग रही है और हर घर में गाय को पालना भारतवासियों के लिए सपना होता था। कृषि व्यवस्था भी पूरी तरह से गोवंश पर निर्भर होती थी लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे गाय का आदर कम हुआ, तरह-तरह की बीमारियां और समस्याएं जीवन में प्रवेश कर गईं। उन्होंने कहा कि यदि हम स्वस्थ जीवन बिताना चाहते हैं, अपने बच्चों को संस्कार देना चाहते हैं और भारत को फिर से सोने की चिडिय़ा तथा विश्वगुरु बनाना चाहते हैं तो इसके लिए हमें पहले गोसंरक्षण व संवर्धन तथा फिर स्वदेशी को अपनाना होगा। उन्होंने हरियाणा में गौसंवर्धन व गौ-संरक्षण कानून बनाने पर सरकार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में गाय की डेयरी शुरू करने पर सरकार द्वारा सब्सिडी पर ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है जिसका लाभ उठाते हुए युवाओं को डेयरी व्यवसाय को अपनाना चाहिए। ऐसा करने से आजीविका के साथ-साथ पुण्य लाभ भी प्राप्त होगा। गाय के दूध व मूत्र से बने पदार्थ तो हमें कैंसर व ह्रïदयाघात जैसी भयानक बीमारियों से भी बचाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को शैक्षणिक रूप से मजबूत बनाने के साथ-साथ उन्हें भारत की मूल संस्कृति से जोडऩे की ओर भी ध्यान देना चाहिए।
डिप्टी स्पीकर ने कहा कि स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार के स्वदेशी मेले हर जिला स्तर पर आयोजित किए जाने की जरूरत है। इससे देश के घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, युवाओं को रोजगार मिलेगा और हमारी अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। देश की आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी ने भी स्वदेशी अपनाओ-विदेशी भगाओ का नारा देकर देशवासियों से देश में बनी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वïान किया था। इसी प्रकार आज भी समय की जरूरत है कि देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए स्वदेशी को अपनाया जाए।
गोरक्षा सम्मेलन में दिल्ली से आए मुख्य वक्ता खेमचंद के अलावा निहाल जी सनातनी व अन्य वक्ताओं ने भी गोसेवा के महत्व का बखान करते हुए कहा कि हम गाय को नहीं बल्कि गाय हमें पालती है। यदि गाय को उसका वास्तविक स्थान मिल जाए तो कर्जमुक्त किसान, समृद्घ किसान व रोजगार युक्त नौजवान की परिकल्पना को आसानी से साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गाय घरों से तो निकल गई लेकिन हमारे दिलों से नहीं निकलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देसी नस्ल की गाय से ही स्वस्थ भारत का निर्माण हो सकता है।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर निलिमानंद, पवन कौशिक, शमशेर आर्य, डॉ. देवेंद्र, सतीश आर्य, भीम महाजन, राजेंद्र चोटानी, दलीप फौजी, राजेंद्र सांगवान, अरुण कुमार, सुंदर सोनी, अनिल गोयल, राकेश चराया, संजीव शर्मा, रोहित अग्रवाल, भारत मेहरवाल, विजय शर्मा, संदीप गंगवा, कपिल वत्स, लोकेश असीजा, राजेंद्र फौगाट, हरियाणा राज्य गोशाला संघ व स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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