हिसार

मेरी फसल मेरा ब्यौरा पंजीकरण में धरतीपुत्रों के साथ हो रहा छलावा

किसान गेहूं फसल का पंजीकरण करवाने आए तो मामले का हुआ खुलासा

किसकी फसल किसका ब्यौरा साबित हो रही है योजना

मंडी आदमपुर (अग्रवाल),
आदमपुर खंड के गांवों में गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई और कटाई का कार्य भी जोरों पर है। क्षेत्र के किसान मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवा रहे है। अंतिम दिन रविवार को अनेक किसानों ने गेहूं की फसल का पंजीकरण करवाया। आदमपुर खंड के गांव भोडिय़ा बिश्नोइयान व खैरमपुर सहित अनेक गांवों के किसान जब गेहूं की फसल ऑनलाइन पंजीकरण करवाने गए तो किसानों के पांव तले उस समय जमीन खिसक गई जब उनकी जमीन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किसी ओर के नाम मिला। मामला सामने आने पर पीडि़त किसानों ने इसकी शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री व विभाग के आला अधिकारियों से की है। गांव भोडिय़ा बिश्नोईयान के किसान पवन पूनिया ने उनकी मुस्तर खाते की करीब 18 एकड़ जमीन है। कुछ दिन पहले वे गेहूं की फसल का मेरी फसल मेरा ब्यौरा के तहत विभाग की साइट पर पंजीकरण करवाने कमेटी कार्यालय गए तो कम्प्यूटर ऑप्रेटर ने बताया कि आपकी जमीन का रजिस्ट्रेशन पहले हो चुका है। किसान ने जब डिटेल निकलवाई तो पता लगा कि उनकी जमीन सिवानी मंडी के गांव लिलस निवासी कृष्ण और सुमन के नाम दर्ज है। इस पर कृष्ण ने मना करते हुए गलती से गांव भोडिय़ा बिश्नोइयान का ब्यौरा दर्ज होने की बात कही। किसान ने बताया कि उनकी जमीन पर गेहूं की फसल खड़ी है जबकि शातिरों ने सरसों की फसल दर्ज करवा दी है। इसी तरह गांव खैरमपुर के किसान बलदेव सिंह ने बताया कि उसकी 8 एकड़ जमीन पर 3 एकड़ में गेहूं व 5 एकड़ में सरसों है जब वो गेहूं का पंजीकरण करवाने गए तो जमीन का ब्यौरा गांव लिलस निवासी अमित के नाम दर्ज मिला। इसी तरह गांव के ही जयदेव की 4 एकड़ में गेहूं व 3 एकड़ में सरसों, सुनील कुमार की 4 एकड़ में गेहूं व 2 एकड़ में सरसों, नरेश कुमार की अढाई एकड़ में गेहूं व साढ़े 3 एकड़ में सरसों की फसल है। उनकी सभी जमीन पर शातिरों ने सरसों की फसल दिखाकर पंजीकरण करवा रखा है।
जांच करने पर हो सकता बड़े मामले का खुलासा
किसानों ने बताया कि पहले से ही उनकी जमीन का रजिस्ट्रेशन हो चुका है अब उनकी गेहूं की फसल बेचने में काफी कठिनाई आएगी। किसानों ने बताया कि क्षेत्र में ऐसा गिरोह सक्रिय है जो फर्जी तरीके से किसानों की जमीन के किल्ला नंबर व मुरब्बा नंबर चुराकर अन्य किसी नाम से सरसों की फसल दिखा देते है। ऐसे शातिर लोग सस्ते दामों में सरसों खरीद कर समर्थन मूल्य पर सरसों बेच देते है। जिससे सरकार के राजस्व को चूना लग रहा है वहीं उनकों भी परेशानी उठानी पड़ रही है। सरकार अगर मामले की गहराई से जांच करे तो बड़े मामले का खुलासा हो सकता है। दरअसल, इस बार मंडियों में गेहूं की फसल केवल उन्हीं किसानों की खरीदी जाएगी जिन्होंने अपनी फसल का ब्यौरा दिया है। गेहूं की फसल बेचने में दिक्कत न आए, इसलिए किसान सी.एस.सी. सैंटर या कमेटी कार्यालय पर पंजीकरण करवा रहे हैं।
मामले की करवाई जाएगी जांच: चेयरमैन
इस बारे में भाजपा नेता एवं मार्कीट कमेटी के चेयरमैन सुखबीर डूडी ने कहा कि किसानों की शिकायत मिली है। सरकार व अधिकारियों से इस मामले की पूरी जांच करवाएंगे ताकि मामले की पटाक्षेप हो सके। अगर कोई ऐसा गिरोह है तो उसका भंडाफोड़ हो सके।
पहले पटवारी करते थे वेरिफिकेशन: ए.डी.ओ.
आदमपुर खंड कृषि विभाग के कृषि विकास अधिकारी (पौध सरंक्षण) डा.जनकराज पूनिया ने बताया कि खंड के करीब 8,500 किसानों ने जमीन का पंजीकरण करवाया है। पहले संबंधित गांव के पटवारी द्वारा वेरिफिकेशन की जाती थी। अब वेरिफिकेशन नही की जाती। अब पंजीकृत किसान को एक दिन पहले फोन या मैसेज भेजकर मंडी में फसल बेचने के लिए बुला लिया जाता है।

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