इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केटिंग, इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना को व्यवहारी किया जाए : राजेन्द्र बिचपड़ी
हिसार,
भारतीय किसान संघ के प्रांतीय मंत्री राजेन्द्र बिचपड़ी ने कहा है कि गेहूं की फसल की किसानों को सीधी पेमेंट होनी चाहिए और आढ़ती को उसकी कमीशन दी जाए, इस तरीके से ही मंडियों में होने वाले भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि गेहूं की खरीद को लेकर आढ़ती और प्रशासनिक अधिकारी हो-हल्ला कर रहे हैं, इसके पीछे सरकार का विरोध करने की मंशा है, जिसका मुख्य कारण सरकार इस समय गेहूं की खरीद पारदर्शिता के साथ करना चाहती है ताकि धान घोटाले की तरह फर्जी जे-फार्म ना काटे जाएं। आंकड़े बता रहे हैं कि अधिकारियों और आढ़तियों की मिलीभगत से अत्यधिक जे-फार्म काटे जाते हैं। राजेन्द्र बिचपड़ी ने आरोप लगाते हुए कहा कि गेहूं के सीजन में भी व पैडी के सीजन में भी और जो प्रोक्योरमेंट एजेंसी है, वह फसल को रिकार्डो में पूरा दिखा देती है, जिससे आढ़तियों के खातों में पैसे चले जाते हैं, मिल बैठकर आढ़ती व अधिकारी गबन का बंटवारा कर लेते हैं। सरकार ने इन विषयों के बारे में बहुत बारीकी से जाना कि मंडियों में होने वाले जे-फार्म घोटाले को एक ही तरीके से रोका जा सकता है, वह तरीका है इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केटिंग, इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना को व्यवहारी किया जाए। इस योजना का एक भाग है, जिसको कहते हैं ई-ट्रेडिंग आढ़ती और ऑफिसर्स इस योजना का विरोध इसलिए कर रहे हैं कि भविष्य में यह योजना लागू ना हो लेकिन केंद्र सरकार यह समझ चुकी है कि एफसीआई के जिन गोदामों में गेहूं का भंडारण कम होता है और फर्जी जे-फार्म अधिक काटे जाते हैं और इतना बड़ा एफसीआई का जो विभाग है अगर उसमें कोई शिकायत करे तो भी जांच करना असंभव है क्योंकि स्टॉक का भंडारण का ज्ञान छोटे अधिकारियों को होता है और छोटे अधिकारी मंडी के गोदाम स्तर के इंस्पेक्टर आपस में मिले होते हैं। अब सरकार ने यह मन बना लिया है कि सभी फसलें पहले मेरी फसल मेरा ब्योरा के तहत पंजीकरण होगी, सरकार के पोर्टल पर उसके बाद पंजीकरण नंबर मिलेगा और उसी के आधार पर गेट पास बनेगा और गेट पास के आधार पर प्रोक्योरमेंट एजेंसी खरीद करेंगी, फिर उसी प्रक्रिया से परकयोमेंट एजेंसी आढ़ती को और किसान को पेमेंट करेगी।
किसान नेता राजेन्द्र बिचपड़ी ने कहा कि इस योजना की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल 2016 में की थी जिसमें किसान की फसल के राष्ट्रीय स्तर पर ईनाम के माध्यम से अधिक मूल्य मिले। किसान नेता ने बताया कि पिछले 4 सालों से जे-फार्म के घोटालों को रोकने के लिए केंद्र सरकार का प्रयास रहा लेकिन हरियाणा में आढ़ती एसोसिएशन का राज्य सरकार के ऊपर व मुख्यमंत्री के ऊपर प्रभाव है, इसीलिए इस योजना को नजरअंदाज करते रहते हैं लेकिन जब मंडियों में जे-फार्म के जरिए करोड़ों रुपए के घोटाले सामने आए तो वर्तमान हरियाणा सरकार आढ़तियों को बचाना चाहती है, सीधी पेमेंट करना नहीं चाहती लेकिन यह भी चाहती है कि भविष्य में आढ़तियों के द्वारा अधिकारियों के द्वारा जे-फार्म घोटाला ना हो, इसी विचार को ध्यान में रखते हुए मार्केट कमेटियों के माध्यम से, मेरी फसल मेरा ब्योरा के माध्यम से किसानों का पंजीकरण अनिवार्य करवाया है। अब भी देखने में आया कि आढ़तियों ने, मार्केट कमेटी कर्मचारियों ने अपने निजी आदमियों के द्वारा फर्जी तरीके से मेरी फसल मेरा ब्योरा पर पंजीकरण करवा रखा है, जिन किसानों के पास ठेके की जमीन भी नहीं जिन किसानों के पास खुद की कोई जमीन नहीं और ना ही मेरी फसल मेरा ब्योरा के पंजीकरण में किसी खसरा नंबर व खतौनी नंबर का जिक्र है जबकि मेरी फसल मेरा ब्योरा में खसरा नंबर, खतौनी नंबर, हिस्सा क्षेत्रफल दर्शाना जरूरी होता है। रणदीप फरल ने कहा कि केंद्र सरकार से मांग है इस विषय की भी बारीकी से जांच करवाएं जिन जिन आढ़ती और किसानों ने अपने अपने स्टेशन में अपनी भूमि का विवरण नहीं दिया इसका मतलब रजिस्ट्रेशन फर्जी है, इसकी जांच होनी चाहिए और जिन अधिकारियों द्वारा कार्यों में अनियमितता दिखाई गई उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए।