भिवानी हिसार

क्या फांसी पर झूल गई ईमानदारी, सच से क्यों घबरा रही राजस्थान सरकार

जनता मांग रही जवाब, देना होगा पूरा हिसाब

सिवानी मंडी (प्रेम सारस्वत)]
राजस्थान के चुरू जिला के राजगढ़ थाना के थाना प्रभारी विष्णदुत्त बिश्नोई की आत्महत्या की गुत्थी कहीं भ्रष्ट व्यवस्था की भेंट तो नहीं चढ़ गई। अगर नहीं तो फिर राजस्थान की सरकार को इस होनहार और दबंग छवि के पुलिस ऑफिसर को मौत की नींद सुला देने वाले जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सीबीआई जांच से परहेज क्यों है। कहीं सरकार को अपनो की असलियत उजागर होने का डर तो नहीं सता रहा है। राजस्थान ही नहीं बल्कि हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों में विष्णुदत्त बिश्नोई की काबलियत का सिक्का बोलता था लेकिन आज शर्म की बात है कि उनकी मौत का सच जानने के लिए लोगों को सरकार से न्याय की भीख मांगनी पड़ रही है। होना तो यह चाहिए था कि सरकार को तुरंत सीबीआई जांच करवा देनी चाहिए थी। फेसबुक पर मेरे एक मित्र सुशील ज्याणी ने इस मार्मिक घटना पर लेख लिखने का आग्रह किया तो मेरी कलम भी इस दर्द को लिखते समय रो पड़ी और सोचो उस परिवार का क्या हाल होगा जिसने अपना लाल इस भ्रष्ट व्यवस्था में खो दिया। राजगढ़ के साथ लगते सिवानी से लेकर पंजाब की सीमा सिरसा तक लोगों के मेरे पास इस घटना की जानकारी जानने के लिए हर वर्ग के लोगों के फोन आ रहे है। फतेहाबाद से भाजपा के जिला प्रमुख वेद फूूलां और मेरे आदरणीय जगदीश राय शर्मा जी से भी इस मामले में विस्तार से बात हुई। डबवाली से मेरे मित्र राजीव भी इस घटना से काफी आहत दिखे और इस पूरे घटनाक्रम पर एक लेख सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को एकजुट करने की अपील की।
राजस्थान सरकार को याद दिलाना चाहूंगा भवंरी हत्याकांड की। इस हत्याकांड को जब राज्य की पुलिस और सभी संस्थाएं नहीं सुलझा पाई थी तब सीबीआई के काबिल ऑफिसरों की टीम ने करीब चार माह की कड़ी मशक्कत के बाद इस पूरे मामले की सच्चाई जनता के सामने ला दी थी और उसमें जो लोग दोषी निकले वे किसी से छिपे नहीं है। मैं यह नहीं कहता कि राजस्थान पुलिस इस मामले को सुलझाने में सक्षम नहीं है। सक्षम है लेकिन उसका रिमोट किसके हाथ में होगा इस कड़वी सच्चाई से हम सब वाकिफ है। मैं राजस्थान सरकार पर सवालिया निशान उठा नहीं रहा हूं लेकिन जनभावना को ध्यान में रखते हुए सरकार को भी जनता की मांग पर इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंप देनी चाहिए। मेरे लिहाज से उस जाबांज ऑफिसर को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बेशक थे बिश्नोई लेकिन

विष्णुदत्त बिश्नोई बेशक बिश्नोई समाज से संबंध रखते थे लेकिन उनके जानने वाले बताते है कि उन्होंने कभी जात-पात जैसी घिनौनी सोच को खुद से मीलों दूर रखा। वे जहां भी रहे लोग उनकी ईमानदार छवि की मिशाल आज भी देते है। उन्होंने जाति से पहले संबंधित व्यक्ति का जुर्म देखा और उसी लिहाज से उसके साथ न्याय किया। वे अपराध की दुनिया से जुड़े क्रिमनल और सफेदपोश नेताओं को कभी भी भाव नहीं देते थे। उनका काम केवल लोगों को सुरक्षा व सुरक्षित माहौल देना था और वे हर उस आदमी की कद्र करते थे जो न्याय प्रणाली व पूरे समाज को संगठित करने में यकीन रखते थे। उनकी इसी सोच के कारण हर वर्ग के लोग उनके कायल हो गए थे। मेरा सवाल यह है कि क्या उनकी इसी कार्यप्रणाली ने उनकी जान ले ली। क्या किसी भाई ने किसी भ्रष्ट ऑफिसर को फांसी के फंदे पर झूलते हुए देखा है जवाब शायद ना ही मिलेगा। यूं कहा जाए कि ईमानदारी फांसी के फंदे पर झूल गई तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
वाह री राजस्थान सरकार
राजस्थान सरकार की भी दाद देनी होगी। आज समाचार पढ़ा कि उनके फांसी पर झूलने के बाद जब राजस्थान के विभिन्न दलों के नेताओं और संगठनों ने उस दिन थाने के बाहर विष्णुदत्त बिश्नोई की आत्महत्या के बाद प्रदर्शन किया तो सरकार ने उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करवा दिया। कहा गया कि उन्होंने कोविड-19 नियमों की अवहेलना की है। अरे सरकार आप मुकदमा दर्ज करवा रहे हो उससे पहले उस शेरदिल वाले ऑफिसर को कमजोर दिल की स्थिति तक पहुंचाने वाले कारणों को क्यों नहीं उजागर कर रहे हो। अगर राजस्थान सरकार बिना सीबीआई जांच के भी इस पूरे मामले को उजागर करती है तो कांग्रेस पार्टी को जिंदाबाद कहने वाला मैं प्रेम सारस्वत सबसे पहले आगे आउंगा।
लोरेंस ने भी दिया अपना जवाब
मैं दावे के साथ तो नहीं बोल सकता लेकिन लोरेंस बिश्नोई ने अपने फेसबुक पेज पर स्पष्ट कर दिया है कि उसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने साफ लिखा है कि बिश्नोई समाज को तोडऩे और मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है। इस मामले में कितनी सच्चाई है और कितना झूठ यह तो जांच का विषय है।
सावधान
अपने इस लेख को मैं विराम देने से पहले समाज के सभी लोगों से अपील भी करना चाहता हूं कि वे किसी भी राजनीति दल के बहकावे में ना आए क्योंकि हो सकता है कि कुछ दल के लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए समाज के लोगों को सडक़ पर उतरने के लिए गुमराह करें। हमें ऐसा कतई नहीं करना है क्योंकि कोरोना काल में हमें सभी उचित नियमों का पालन भी करना है। इसलिए अगर हमें राज्य सरकार से न्याय नहीं मिलता है तो हमारे पास न्यायपालिका का विकल्प है। उम्मीद करूंगा आप मेरे इन विचारों को अधिक से अधिक संख्या में शेयर करेंगे और जो भी अपडेट इस घटनाक्रम से जुड़ा हुआ मिलता है उससे मुझे अवगत करवाते रहेंगे।


आपका अपना प्रेम सारस्वत,
संवाददाता, सिवानी मंडी

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