हिसार

कोरोना वायरस से बचाव के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में अल्ट्रा वायलेट विकिरण आधारित कागजात कीटाणुशोधन प्रणाली विकसित की

हिसार,
कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी है तथा इसके उपचार सम्बंधित अनुसंधान विश्वभर में जारी है। वर्तमान समय में केवल बचाव ही इस बीमारी का इलाज है। इस कारण लोगो द्वारा अपनी जीवन शैली में बदलाव के साथ-साथ सार्वजानिक स्थानों पर कामकाज के दौरान सावधानी रखना आवश्यक है। सार्वजानिक कार्यालयों में कागजातों का आवागमन इस बीमारी के संक्रमण का कारण बन सकता है। अत: इन कागजातों का कीटाणुशोधन बहुत आवश्यक है। पूर्व अनुसंधान के अनुसार, अल्ट्रा वायलेट (पराबैंगनी) विकिरण विशेषकर अल्ट्रा वायलेट-सी सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने में सक्षम होती हैं। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. केपी सिंह जी के दिशा-निर्देश अनुसार, एक अल्ट्रा वायलेट विकिरण आधारित कागजात कीटाणुशोधन प्रणाली का विकास किया गया है। यह उपकरण विकिरण द्वारा कागजातों का कीटाणुशोधन लगभग 10 मिनट में कर देता है। वर्तमान समय में इस उपकरण को विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय में स्थापित किया गया है। इसके निर्माण में 5000 रूपए के लगभग खर्च आया है। इस उपकरण का निर्माण कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिको इंजी सुनील कुमार और डॉ. अरुण कुमार अटकान द्वारा मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सहयोग से किया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह जी ने इस ‘अल्ट्रा वायलेट विकिरण आधारित कागजात कीटाणुशोधन प्रणाली’ की सराहना की और इस उपकरण के इस्तेमाल को कोरोना वायरस से बचाव में उपयोगी बताया। उन्होने यह अपील भी की कि देश के सुरक्षा चक्र को बनाये रखने में हर योगदान प्रंशसनीय व सराहनीय होता है। इस दौरान विशेष कार्यकारी अधिकारी डॉ. एमके गर्ग, कुलसचिव डॉ. बीआर कम्बोज, कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आरके झोरड़ एवं एसपीएस सुरेंद्र सलूजा भी उपस्थित रहें।

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Jeewan Aadhar Editor Desk