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हरियाणा सरकार ने किया पॉलिसी में बड़ा बदलाव, प्राईवेट स्कूलों को मिली राहत

चंडीगढ़,
हरियाणा सरकार ने एसएलसी पॉलिसी में बदलाव करते हुए प्राईवेट स्कूलों को बड़ी राहत प्रदान की है। अब प्राईवेट स्कूल छोड़ने वाले छात्रों को बिना एसएलसी के सरकारी स्कूल में केवल अस्थायी दाखिला ही मिल सकेगा। दाखिला स्थायी तभी माना जाएगा जब निजी स्कूल विद्यार्थियों का एसएलसी जारी करेगा। यह आदेश शुक्रवार देर शाम शिक्षा निदेशालय ने जारी करते हुए इस संबंध में प्रदेश के सभी डीईओ, डीईईओ को निर्देश दिए हैं।

बता दें कि 15 जून को सरकार ने प्राईवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूल में दाखिला लेने के लिए एसएलसी की बाध्यता खत्म कर दी थी। 15 दिन के भीतर एसएलसी जारी न होने पर उसे स्वत: जारी हुआ मानने के आदेश थे। निजी स्कूलों के कड़े विरोध के बाद शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने निजी स्कूल संचालकों के साथ शुक्रवार को शिक्षा सदन पंचकूला में बैठक कर आश्वासन दिया था कि बिना एसएलसी सरकारी स्कूलों में निजी स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का दाखिला नहीं होगा।

उनके आश्वासन को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा निदेशालय ने देर शाम एसएलसी की गरिमा को बरकरार रखते हुए नए आदेश जारी कर दिए। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने शिक्षा मंत्री और सरकारी अधिकारियों के सामने बैठक में स्कूलों का पक्ष रखा। कुंडू ने हरियाणा सरकार से बिना एसएलसी सरकारी स्कूलों में दाखिले के आदेशों को वापस लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के पास पिछले सत्र की बकाया फीस लेने के लिए एसएलसी एकमात्र साधन था, जिसे सरकार ने हटा दिया। ग्रामीण क्षेत्रों के सभी स्कूलों को पिछले 3 से 6 महीने तक की फीस लेना नामुमकिन हो गया है।

10 साल की मान्यता पूरे होने के मुद्दे पर कुंडू ने कहा कि 10 साल के बाद केवल स्कूलों की समीक्षा के बारे में कहा गया था लेकिन अधिकारी नई मान्यता का फॉर्म भरने पर स्कूलों पर दबाव डाल रहे हैं।

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