हिसार

कृषि उत्पादन बढ़ाने में भौतिक विज्ञान की भूमिका सराहनीय : प्रो. केपी सिंह

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में भौतिकी में उभरती प्रवृत्तियां व उनकी कृषि में उपयोगिताएं विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

हिसार,
ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां भौतिकी विज्ञान का उपयोग नहीं होता। कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि भौतिकी, मृदा भौतिकी और फसल शरीर विज्ञान में भौतिकी की भूमिका बहुत ही सराहनीय है।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह ने भौतिकी में ‘उभरती प्रवृत्तियां व उनकी कृषि में उपयोगिताएं’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में शामिल प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कही। वेबिनार का आयोजन कॉलेज ऑफ बेसिक साइंस एंड ह्युमिनिटिज के भौतिकी विज्ञान विभाग द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि भौतिक विज्ञान का हर क्षेत्र में ही महत्वपूर्ण रोल है परन्तु कृषि क्षेत्र में इसका योगदान बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य में सुधार और मृदा स्वास्थ्य संरक्षण में इसकी उपयोगिता के लिए कृषि में भौतिकी की भी प्रासंगिकता पर भी बल दिया।
विभागाध्यक्ष डॉ. पॉल सिंह ने सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुए बताया कि वेबिनार के लिए लगभग 650 प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया था और 300 से अधिक प्रतिभागी इस वेबिनार में शामिल हुए थे। वेबिनार के दौरान छात्रों, शिक्षकों, विद्वानों, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने वक्ताओं के साथ प्रश्नोत्तर भी किए। इस आयोजन का यूटयूब पर भी सीधा प्रसारण किया गया जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुना और देखा गया । इस वेबिनार में चार राष्ट्रीय और तीन अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने अपने-अपने क्षेत्र में शोध कार्यों का उल्लेख किया। अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत व मौलिक विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजवीर सिंह ने भौतिकी विभाग के इस आयोजन की सराहना की। वेबिनार का संचालन डॉ. रीता दहिया ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईआईटी रुडक़ी से प्रोफेसर रमेश चंद्रा थे। उन्होंने नैनो पदार्थों के प्रयोग से गैस सेंसरस बनाने के उपयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन ऊर्जा के अनवीनीकरण स्त्रोतों का अत्यधिक दोहन से उनकी कमी होती जा रही है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम आने वाली पीढ़ी के लिए नए स्त्रोतों की खोज करें। उन्होंने ऊर्जा भण्डारण के तरीकों पर भी जोर दिया। एनआईटीटीआर चण्डीगढ़ से डॉ. अशोक कुमार व आईकेजीपीटीयू, कपूरथला से डॉ. विरेन्द्रजीत सिंह ने नैनो प्रोद्योगिकी और न्यूक्लियर सांइस के प्रयोग से कृषि क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाने और किसानों के कार्यों को आसान करने के तरीकों पर बल दिया। एनआईटी कुरूक्षेत्र से सहायक प्रोफेसर डॉ.अनुराग गौड़ ने बताया कि ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए सुपर कैपसिटर फायदेमंद हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि के अवशेषों से इलेक्ट्रान निकाल कर उपयोग में लाया जा सकता है। आईआईटी रूडक़ी से डॉ. विवेक कुमार मलिक ने चुंबकीय पदार्थों और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में भूमिका पर प्रकाश डाला। बांगोर विश्वविद्यालय, वेल्स, यूके से वैज्ञानिक डॉ. राकेश धामा ने नवीनतम ज्वलंत मुद्दों जैसे ऑप्टिकल नुकसान व निर्माण के शमन पर बात की। उन्होंने कहा कि धान के अवशेषों का पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ रहा है। ऐसे में धान के अवशेषों से कुछ बेहतर तरीके से उपयोग के लिए अनुसंधान करने की जरूरत है। वेबिनार के सचिव एवं विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार ने अंत मेें सभी का वेबिनार में शामिल होने के लिए धन्यवाद किया।

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