हिसार

कम लागत में अधिक मुनाफा देता है मशरूम : डॉ. एसपी गोयल

मशरूम विषय पर तीन दिवसीय ऑनलाइन व्यवसायिक प्रशिक्षण सम्पन्न

हिसार,
बागवानी में विविधीकरण के रूप मेंं मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जो कम पैसे से शुरू किया जा सकता है और सफल होने पर मशरूम उत्पादन को किसी भी स्तर पर बढ़ाया जा सकता हैं।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. एसपी गोयल ने विश्वविद्यालय के पौध रोग विभाग द्वारा खुम्ब उत्पादन तकनीक विषय पर आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन व्यवसायिक प्रशिक्षण शिविर के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को कम लागत से खुम्ब उत्पादन की कई तकनीकों बारे चर्चा की। साथ ही उन्होने कई महत्वपूर्ण टिप्स प्रशिक्षणार्थियों के साथ सांझा किये। उन्होंने बताया कि छोटी विधि व लम्बी विधि से खुम्ब की खाद तैयार कर अधिक मुनाफा हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा किसान खुम्ब को मूल्य संवर्धित उत्पाद जैसे अचार, चटनी पाउडर, पापड़, बिस्किट आदि तैयार कर बेच सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे वर्तमान समय में विकसित नई प्रजातियों की जानकारी हासिल कर इस क्षेत्र में व्यवसाय स्थापित करें।
पराली से बनाएं कंपोस्ट
अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने पराली को न जलाकर इसका उपयोग मशरूम के लिए कम्पोस्ट बनाने में किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे वातावरण दूषित नहीं होगा और मिट्टी में सूक्ष्म जीवी नष्ट नही होंगे। पराली न जलाने के लिए इसे एक सामाजिक अभियान के रूप में ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े सभी वर्गों को इसमें योगदान देना होगा। सहायक वैज्ञानिक डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि खुम्ब एक संतुलित आहार है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 30-40 प्रतिशत तक पाई जाती है इसलिये शाकाहारी लोगों के लिये प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है। प्रशिक्षण के दौरान वक्ताओं ने प्रशिक्षणार्थियों को फसल अवशेष का उचित प्रबंध करने की आवश्यकता को लेकर भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। डॉ. अनिल कुमार सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं अध्यक्ष पौध रोग विभाग ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि प्रशिक्षण लेने के बाद वे छोटी-छोटी यूनिट लगा कर खुम्ब उत्पादन शुरू करें और स्वावलम्बी बनें। यह खेतीहीन लोगों के लिये तथा महिलाओं के लिये भी आय का एक अच्छा स्त्रोत है।
विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राकेश चुघ ने कार्डिसेप खुम्ब उगाने की विधि को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि यह खुम्ब एक एनर्जी टॉनिक है तथा इससे कई प्रकार की दवाईयाँ बनाई जाती है। डॉ. मनमोहन ने खुम्ब का बीज तैयार करने की विधि सहित बीज खरीदने से पहले की सावधानियों के बारे में विस्तृत चर्चा की। प्रगतिशील खुम्ब उत्पादक अमृत बाजवा ने भी प्रशिक्षणार्थियों के साथ अपने अनुभव सांझा किए।
67 प्रशिक्षणार्थी हुए शामिल
पौध रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजीत सिंह राठी ने सभी वक्ताओं व प्रतिभागियों का इस प्रशिक्षण के सफलातपूर्वक समापन पर धन्यवाद किया। इस प्रशिक्षण शिविर के संयोजक डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश के विभिन्न स्थानों के 67 प्रतिभागी शामिल हुए। इस दौरान मशरूम से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपने व्याख्यानों से प्रतिभागियों को अवगत करवाया व मशरूम के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रशिक्षण मेें वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों के साथ प्रशिक्षण संबंधी उनके अनुभवों को लेकर विचार-विमर्श भी किया।

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