हिसार

खेती के साथ सहयोगी व्यवसाय के रूप में अपनाएं मधुमक्खी पालन : डॉ. गोदारा

एचएयू में मधुुमक्खी पालन पर तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण शुरू

हिसार,
किसान खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को सहयोगी व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन को किसान थोड़े से पैसे से शुरू कर अपने व्यवसाय को बड़े स्तर तक बढ़ा सकते हैं।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान के डॉ. अशोक गोदारा, सह-निदेशक(प्रशिक्षण) ने दी। वे मधुमक्खी पालन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर प्रशिक्षणार्थियेां को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से आह्वान किया कि प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान से वे लघु स्तर पर मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते है। कीट विज्ञान विभाग के सहायक निदेशक डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि मधुमक्खी परागकरण क्रिया द्वारा फसल की पैदावार बढ़ाने में भी सहायह होती है। इस व्यवसाय को वे लोग भी शुरू कर सकते हैं, जिनके पास जमीन का अभाव है या फिर जमीन नहीं है। उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में मधुमक्खी पालन अधिक मुनाफा देता है क्योंकि इस समय फसल पर फूलों की संख्या बहुत अधिक होती है जो मधुमक्खी को शहद बनाने के लिए जरूरी होते हैं। प्रशिक्षण के दौरान सहायक निदेशक(प्रशिक्षण) डॉ. सुरेंद्र सिंह ने प्रतिभागियों को मधुमक्खी पालन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकार की ओर से ऋण मुहैया करवाए जाने के लिए प्रपोजल तैयार करने संबंधी भी विस्तृत जानकारी दी।
शहद के अलावा भी कई फायदे हैं मधुमक्खी पालन के
प्रशिक्षण के दौरान वक्ताओं ने बताया कि मधुमक्खी पालन से शहद के अतिरिक्त भी अन्य पदार्थ जैसे मोम, प्रोपोलिस पराग, रायल जैली इत्यादि मिलते है, जिससे किसान अधिक लाभ कमा सकता है। इस दौरान कीट विज्ञान विभाग के जिला विस्तार विशेषज्ञ डॉ. तरूण वर्मा, डॉ. सुनीता यादव, डॉ. निर्मल कुमार आदि ने भी प्रतिभागियों को मधुमक्खी पालन के बारे में बताया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित अन्य प्रदेशों के 34 प्रतिभागी भाग ले रहें है।

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