हिसार

सब साइलर बढ़ाएगा गन्ने की पैदावार

एचएयू वैज्ञानिकों ने लंबी रिसर्च के बाद किया दावा

हिसार,
गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है। इस रिसर्च के अनुसार गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विकसित किया गया सब-साइलर या चिजलर नामक उपकरण का प्रयोग गन्ने की उत्पादकता को 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाने में सहायक होगा। इस उपकरण को विश्वविद्यालय की कृषि अधिकारियों की बैठक में किसानों के लिए अनुमोदित कर दिया गया है।
जमीन की सघन परत करती है गन्ने की पैदावार में कमी
जमीन में कुछ निश्चित गहराई पर संघनन परत बन जाती है जिससे पौधे की जड़ की वृद्धि और वितरण में कमी आ जाती है। इससे पौधे की जल और पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे पौधे की वृद्धि रूक जाती है व गन्ना अधिक गिरता है, जिससे फसल की पैदावार भी कम हो जाती है। हालांकि यह प्रभाव मौसम, स्थान और मिट्टी के प्रकार के कारण भी हो सकता है। मृदा संघनन के कारण मिट्टी घनत्व में वृद्धि, छिद्र में कमी, जल भंडारण की क्षमता और जड़ प्रवेश की बाधाएं उत्पन होती हैं, जिससे गन्ने की पैदावार कम हो जाती है और किसान जानकारी के अभाव में इस ओर ध्यान नहीं दे पाता।
ऐसे करेगा सब-साइलर काम
सब-साइलर को विकसित करने वाले सस्य विज्ञानी डॉ. मेहरचंद व सेवानिवृत्त प्रधान मृदा वैज्ञानिक डॉ. विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान उचानी (करनाल) में जमीन की कुछ गहराई पर बनने वाली सघन कठोर परत तोडऩे के लिए इस उपकरण को विकसित किया गया है। लंबी रिसर्च के बाद सकारात्मक परिणाम सामने आए और गन्ने की पैदावार में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई। जमीन के नीचे सख्त सतह को तोडऩे के लिए बिजाई से पहले चिजलर को डेढ़-डेढ़ मीटर की दूरी पर डेढ़ फीट की गहराई में उत्तर से दक्षिण एवं पूर्व से पश्चित दिशा में चलाना है। चार साल में एक बार चिजलर का प्रयोग खेत में किसान द्वारा अवश्य किया जाना चाहिए। बिजाई के लिए दो से अढ़ाई फीट पर खुड्ड बनाएं। अगर गन्ने में अंत्त: फसल लेनी हो तो बिजाई तीन फीट पर करें।

ये कारण भी हैं मुख्य
गन्ना भारत और हरियाणा की एक प्रमुख नकदी फसल है, लेकिन खराब प्रबंधन, मृदा की स्थिति, खराब मौसम की स्थिति, मृदा का क्षीण होना, रोग व कीट आदि कई कारण है जो गन्ने की उत्पादकता पर विपरीत असर डालते हैं। रोपण से लेकर कटाई और चीनी मिल या डिस्टिलरी तक परिवहन से भारी मशीनरी के यातायात से जुड़े गहन मशीनीकरण से मिट्टी की स्थिति खराब हो गई है।
विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया : प्रो. समर सिंह
विश्वविद्यालय के कुलपति व सब-साइलर विकसित करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि यह बहुत ही गौरव की बात है कि वैज्ञानिक अपनी कड़ी मेहनत व लगन से किसानों के हित के लिए काम करते हुए विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। सब-साइलर या चिजलर यंत्र को विकसित करने वाली मेरी पूरी टीम बधाई की पात्र है। भविष्य में भी इस प्रकार के शोध कार्य चलते रहेंगे और विश्वविद्यालय का नाम यूं ही चमकता रहेगा।

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