हिसार

‘कामचोर व चापलूस कर्मचारियों के कारण हिसार डिपो प्रबंधन हुआ फेल’

कर्मचारी नेताओं ने डिपो प्रबंधन पर उठाए सवाल, सरकार से की कार्यवाही की मांग

हिसार,
कामचोर व चापलूस कर्मचारियों के कारण हरियाणा परिवहन विभाग के हिसार डिपो का प्रबंधन पूरी तरह से फेल हो गया है और डिपो की हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। ऐसे में हिसार डिपो प्रबंधन की छवि व कार्यप्रणाली सुधारे जाने की जरूरत है।
यह बात इंटक से संबंधित रोडवेज वर्कर यूनियन के राज्य वरिष्ठ उपप्रधान सूरजमल पाबड़ा व ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर यूनियन के प्रांतीय संगठन सचिव अरूण शर्मा ने एक संयुक्त बयान में कही। उन्होंने कहा कि हिसार डिपो में मैन पावर तथा चालक परिचालकों की कोई कमी नहीं है, बसों की भी कमी नहीं है, बसों की मुरम्मत करने वालों की भी कमी नहीं है व चैकिंग स्टाफ आदि की भी कमी नहीं है फिर भी हिसार डिपो प्रदेश में 20वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में हिसार डिपो में कुल 225 बसें हैं और इन बसों को चलाने के लिए पर्याप्त संख्या में चालक व परिचालक भी मौजूद हैं लेकिन फिर भी डिपो में करीब 40-50 बसें ऐसी हैं जो मार्ग पर चलने की बजाय वर्कशॉप में खड़ी रहती हैं। इसके चलते गांव व कस्बों में रहने वाले लोग परिवहन सुविधा नहीं मिल पाती और लोग साधनों के अभाव में घंटों तक सडक़ों पर खड़े रहते हैं।
सूरजमल पाबड़ा व अरूण शर्मा ने कहा कि हालात से स्पष्ट है कि हिसार डिपो का प्रबंधन पूरी तरह से फेल हो चुका है। उन्होंने कहा कि रोडवेज विभाग में कार्य शाखा जो डिपो की रीढ की हड्डी होती है उस पर कुछ चापलूस और कामचोर लोगों ने कब्जा कर रखा है, जिनका ध्यान सरकार के कार्य करने की अपेक्षा अपने निजी हित साधने में ज्यादा रहता है। इसके परिणामस्वरूप पर्याप्त संख्या में स्टाफ होने के बावजूद भी बसें मार्ग पर नहीं जा रही और लोगों को परिवहन सुविधा भी नहीं मिल पा रही है।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि कर्मचारी, अधिकारी व यूनियनों आदि का आपस में तालमेल बैठा कर विभाग हित व जनहित में कार्य करने का उतरदायित्व होता है लेकिन बाड़ ही खेत को खाने लग जाए तो खेत से किसी प्रकार की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि विभाग मुख्यालय द्वारा सख्त हिदायत है कि महाप्रबंधक व यातायात प्रबंधक हर रोज रूट वाईज डिपो की आय व हानि का अवलोकन करेंगे और जिस मार्ग पर रिसीट कम होगी वहां पर हालात अनुसार चैकिंग आदि पर जोर देने का कार्य करेंगे और यदि स्टाफ आदि की कमी के कारण बसें खड़ी रहती हैं तो कार्यालय आदि में बैठे चालक परिचालकों को मार्ग पर चलने के आदेश देकर बसें चलाना सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार, मुख्यालय व सीनियर अधिकारी के आदेशों की पालना करना हर महाप्रबंधक की जिम्मेदारी होती है, लेकिन हिसार डिपो महाप्रबंधक के लिए मुख्यालय व सीनियर अधिकारियों के आदेश कोई मायने नहीं रखते।
कर्मचारी नेताओं ने बताया कि कुछ दिन रोज पहले विभाग निदेशक द्वारा जारी किए गए आदेश इसका उदाहरण है। निदेशक के आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि कर्मचारी अपने पद अनुसार कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यदि डिपो महाप्रबंधक मुख्यालय द्वारा जारी की गई हिदायतों अनुसार आदेश पारित कर देते तो मौजूदा समय में जो 40-50 बसें बगैर स्टाफ के वर्कशॉप में खड़ी होकर धूल चाटने की बजाय मार्ग पर चल रही होती, जिससे जहां जनता को बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध होती और वहीं सरकार की आय भी बढ़ती।
कर्मचारी नेताओं ने बताया कि हिसार डिपो प्रबंधन की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ सामाजिक संगठनों ने भी सवाल खड़े करते हुए इसकी शिकायत प्रदेश मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री व विभाग निदेशक को भेज दी है। उन्होंने राज्य सरकार से डिपो प्रबंधन की कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है ताकि डिपो में बेहतर तरीके से कार्य हो सके, जिससे आम जनता व सरकार के खजाने को लाभ हो।

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