हिसार

लुवास के वैज्ञानिक डॉ. जसमेर दलाल का पीएचडी रिसर्च पेपर इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित

हिसार,
यहां के लुवास के वैज्ञानिक डॉ. जसमेर दलाल का पीएचडी शोध एक सम्मानित इंटरनेशनल जर्नल मोलिकुलर रीप्रोडक्सन एंड डवपमेंट में प्रकाशित हुआ है। लुवास से मादा पशु एवं प्रसूति विभाग विभागाध्यक्ष डॉ. आर के चंदोलिया डॉ. जसमेर दलाल के प्रमुख सलाहकार रहे। डॉ. दलाल ने ये शोध केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार की सीमन फ्रीजिंग प्रयोगशाला में वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार के सह मार्गदर्शन में किया।
डॉ. जसमेर ने बताया कि आमतौर पर अंडे की जर्दी (योक) सीमन क्रायोप्रिजर्वेशन (हिमांक सरंक्षण) (सीमन से बीज बनाने) करने वाले दर्व का महत्वपूर्ण घटक होता है जो भैंसे के शुक्राणुओं को क्रायोप्रिजर्वेशन (हिमांक सरंक्षण) के दौरान निष्कीर्य होने से बचाता है। अंडे की जर्दी (योक) में लो-डेंसिटी (कम घनत्व) लिपोप्रोटीन इसका सक्रिय घटक है जो भैंसे के शुक्राणुओं को क्रायोप्रिजर्वेशन (हिमांक सरंक्षण) के दौरान निष्क्रिय होने से बचाता है। लो-डेंसिटी (कम घनत्व) लिपोप्रोटीन के अलावा बाकी पदार्थ भैंसे के शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इस शोध मे डॉ जसमेर दलाल ने अंडे की जर्दी (योक) से उसके सक्रिय घटक लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन को निकाल कर अंडे की जर्दी (योक) की जगह सीमन क्रायोप्रिजर्वेशन (हिमांक सरंक्षण) मे किया। जिसमें पाया की ये क्रायोप्रिजर्वेशन (हिमांक सरंक्षण) के दौरान नर भैंसे के शुक्राणुओं की गुणवता को अंडे की जर्दी (योक) के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ा देता है। इस शोध मे पहली बार लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन की क्रियाविधि का भी पता लगाया गया। इससे पशुओं मे ग्याभन होने का स्तर बढ़ेगा।
उनकी इस टीम में वैज्ञानिक डॉ. आर. के. चंदोलिया (प्रमुख सलाहकार) डॉ. प्रदीप कुमार (सह सलाहकार), डॉ अमन कुमार (वैज्ञानिक, लुवास) डॉ. धर्मेंदर, डॉ नरेश सेलोकर, डॉ प्रेम सिंह, डॉ. जेरोम, केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार से मिस शिखा शामिल थे।

Related posts

नाबालिगा को भगाने की आरोपी भेजी जेल

Jeewan Aadhar Editor Desk

हिंदी पत्रकारिता ने भाषा को सशक्त किया : प्रो टंकेश्व कुमार

थाना प्रभारी ने एनजीओ के साथ मिलकर चलाया जागरूकता अभियान

Jeewan Aadhar Editor Desk