हिसार

‘योग, ज्योतिष एंव आयुर्वेद-हमारे जीवन का तरीका’ पर 3 दिवसीय वेबिनार आयोजित

हिसार,
आर्ट ऑफ लिविंग हरियाणा टीम ने जागरूकता के लिए 3 दिवसीय योग, ज्योतिष एंव आयुर्वेद विषय पर निशुल्क वेबिनार का आयोजन किया। सुमेरु संध्या स्टेट कॉर्डिनेटर नीरज गुप्ता के अनुसार यह कार्यक्रम सभी के लिए निशुल्क रखा गया। वेबिनार में आर्ट ऑफ लिविंग के विश्वस्तरीय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था। वेबिनार का संचालन संयुक्त रूप से महावीर अग्रवाल एवं हरियाणा स्टेट टीचर कॉर्डिनेटर ब्रह्मप्रकाश भारद्वाज, विनोद कुमार एवं शुचिका बत्रा ने किया।
वेबिनार के पहले दिन योग पर व्याख्यान देने के लिए श्री श्री स्कूल ऑफ योगा, बेंगलुरु के हेड ऑफ ट्रेनिंग मयूर कार्तिक को आमंत्रित किया गया था। उन्होने अपने व्याख्यान में बताया कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में योग सबसे आसान और सबसे प्रभावी सहायक है। योग का अभ्यास करने से हम अपने स्वयं में स्थापित हो सकते हैं और पूर्ण रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।
वेबिनार के दूसरे दिन ज्योतिष पर व्याख्यान आयोजित किया गया। ज्योतिष पर व्याख्यान देने वैदिक धर्म संस्थान, बेंगलुरु से ज्योतिष विशेषज्ञ त्रिपुरारी शर्मा को आमंत्रित किया गया। त्रिपुरारी शर्मा अपने परिवार की 5वीं पीढ़ी हैं जो ज्योतिषाचार्य हैं। उन्होंने बताया कि ज्योतिष की सही विद्या मनुष्यों के उत्थान में सहायक हैं। ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह हमें अपने तरीके से जीवन के सभी लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता करते हैं। जो व्यक्ति आध्यात्मिक होता हैं सभी ग्रह उनको दिव्यता की ओर अग्रसर करते हैं। सेवा, साधना और सत्संग के माध्यम से हम ग्रहों के हानिकारक एंव दुष्प्रभाव से बच सकते हैं।
कार्यक्रम के तीसरे दिन आयुर्वेद पर व्याख्यान आयोजित किया गया। आयुर्वेद पर व्याख्यान देने के लिए आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य श्वेत को आमंत्रित किया गया। आयुर्वेद प्राचीन भारतीय प्राकृतिक और समग्र वैद्यक-शास्र चिकित्सा पद्धति है। जब आयुर्वेद का संस्कृत से अनुवाद करे तो उसका अर्थ होता है ‘जीवन का विज्ञान’
आयुर्वद का ज्ञान पहले भारत के ऋषि मुनियों के वंशों से मौखिक रूप से आगे बढ़ता गया। उसके बाद उसे पांच हजार वर्ष पूर्व एकग्रित करके उसका लेखन किया गया। आयुर्वेद पर सबसे पुराने ग्रन्थ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय हैं। यह ग्रंथ अंतरिक्ष में पाये जाने वाले पांच तत्व-पृथ्वी, जल वायु, अग्नि और आकाश, जो हमारे व्यक्तिगत तंत्र पर प्रभाव डालते हैं उसके बारे में बताते हैं। यह स्वस्थ और आनंदमय जीवन के लिए इन पांच तत्वों को संतुलित रखने के महत्व को समझते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति दूसरों की तुलना मे कुछ तत्वों से अधिक प्रभावित होता है। यह उनकी प्रकृति या प्राकृतिक संरचना के कारण होता है। आयुर्वेद विभिन्न शारीरिक संरचनाओं को तीन विभिन्न दोष में सुनिश्चित करता है।

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