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कॉटन बेल्ट में इस बार जमकर हो रही धान की रोपाई
आदमपुर,
आदमपुर में बरसात के कारण आमजनजीवन तो प्रभावित हो ही रहा है लेकिन साथ में यहां की धरती और मिट्टी भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। धरती और मिट्टी के प्रभावित होने के कारण अब यहां फसल चक्र में बदलाव आता हुआ दिखाई दे रहा है। कॉटन बेल्ट के रुप में पहचान रखने वाली आदमपुर क्षेत्र की धरती अब तेजी से कॉटन के लायक नहीं बची है। इस बार किसानों ने कॉटन की बिजाई अवश्य की थी लेकिन अब वे अपने खेतों से कॉटन के पौधों को उखाड़ने में लगे हुए है।
जी हां, लगातार बरसात के कारण आदमपुर की धरती में सेम आ गई है। महज 4 से 5 फीट पर पानी निकल रहा है। ऐसे में बरसात आने पर पानी खेतों में खड़ा रहता है। पानी खड़े रहने से कॉटन और मूंग की फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ये फसलें खेतों में खड़ी—खड़ी ही गलने—सड़ने लगी है। ऐसे में किसानों को अपने हाथों से अपनी लगाई फसल को उखाड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
आदमपुर क्षेत्र के किसान अब सेम और खेतों में खड़े पानी के कारण कॉटन का मोह त्याग कर धान लगवाने लगे हैं। किसानों का कहना है कि लगातार 3/4 साल से कॉटन की बिजाई उनके लिए नुकसान का कारण बनी हुई है। आदमपुर के किसान किशोरी लाल फुरसाणी ने बताया कि ही साल की तरह उन्होंने कपास और नरमें की बिजाई की थी। लेकिन बरसात आने के कारण पानी खेतों में खड़ा हो गया। नीचे सेम होने के कारण धरती पानी को पी नहीं रही। पानी की निकासी न होने के कारण कपास पूरी तरह जल गई। ऐसे में उन्होंने अब अपने परिवार की 25 एकड़ में धान की फसल लगवाई हैं।
वहीं सारंगपुर निवासी बिजेंद्र खदाव ने बताया कि उनके गांव में 2 साल पहले एक एकड़ में भी धान की रोपाई नहीं होती थी। लेकिन लगातार हो रही बरसात ने पूरी खेती को बदल कर रख दिया। पिछले साल पूरे गांव में केवल 5 एकड़ में धान की खेती हुई थी। लेकिन इस बार 50 एकड़ से ज्यादा जमीन पर धान की खेती की जा रही है। सेम ने खेती बदलने के लिए किसानों को मजबूर कर दिया है।
वहीं ढाब मंदिर रोड के किसान मांगेराम ने बताया उसने कपास और मूंग की बिजाई की थी। लेकिन बरसात से सब तबाह हो गया। अब अपने पड़ोसियों से सबक लेते हुए धान की रोपाई करवा रहे हैं। सुरेश काकड़ का बताया वे अपने परिवार की कुल 35 एकड़ के आसपास की जमीन में धान लगाने जा रहे हैं। खेतों में लगी नरमे—कपास की फसल तबाह हो चुकी है। किसानों का कहना है इस बार आदमपुर क्षेत्र में करीब 1 हजार एकड़ जमीन में धान की रोपाई हो रही है। किसानों का कहना है कि रोपाई करने वाले मजदूर नहीं मिल पा रहे, इसके चलते उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है।
वहीं किसानों का कॉटन प्रेम कम हो जाने से आदमपुर के कॉटन व्यापार पर भी असर पड़ना तय है। कॉटन व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान समय में तो कॉटन के व्यापार पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन जैसे—जैसे कॉटन की बिजाई का क्षेत्र कम होगा—उनके व्यापार को नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं आदमपुर क्षेत्र में बढ़ती धान की रोपाई को देखते हुए व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि वह आदमपुर में भी धान की सरकारी खरीद की व्यवस्था करें ताकि यहां के किसानों को उचित लाभ मिल सके।
व्यापारियों का कहना है कि आदमपुर में धान की पैदावार नहीं होती थी। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में धान का क्षेत्रफल इस इलाके में बड़ी तेजी से फैल रहा है। ऐसे में किसानों को धान बेचने के लिए आदमपुर से 37 किलोमीटर की दूरी तय करके फतेहाबाद मंडी का रुख करना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को काफी आर्थिक चपत लग रही है। सरकार को धान के बढ़ते रुकवे को ध्यान में रखते हुए आदमपुर में धान की सरकारी खरीद करने की घोषणा करनी चाहिए। इससे न केवल आदमपुर के व्यापार को नई गति मिलेगी बल्कि यहां के किसानों को भी लाभ मिलेगा।