धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—216

महाभारत युद्ध में अर्जुन और कर्ण आमने-सामने थे। दोनों दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से लड़ रहे थे। जब-जब अर्जुन के तीर के कर्ण के रथ पर लग रहे थे तो कर्ण का रथ बहुत पीछे खिसक रहा था। दूसरी ओर जब-जब कर्ण के तीर अर्जुन के रथ पर लगते तो उसका रथ थोड़ा सा ही पीछे खिसकता था।

ये देखकर अर्जुन को घमंड हो गया कि उसके बाणों में ज्यादा शक्ति है। अर्जुन ने ये बात श्रीकृष्ण से कही तो भगवान ने कहा कि तुम्हारे बाणों से ज्यादा शक्ति कर्ण के बाणों में है।

भगवान की बात सुनकर अर्जुन ने कहा कि ये कैसे संभव है, मेरा रथ तो थोड़ा सा ही पीछे खिसक रहा है।

श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हारे रथ पर मैं स्वयं बैठा हूं, ऊपर ध्वजा पर हनुमान जी विराजित हैं, तुम्हारे रथ के पहिए को शेषनाग ने थाम रखा है। इतना होने के बाद भी कर्ण के बाण से ये रथ पीछे खिसक रहा है तो इसका मतलब यही है कि उसके बाणों में ज्यादा शक्ति है। ये बात सुनकर अर्जुन को अपनी गलती का अहसास हो गया और उसका घमंड टूट गया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, कभी अपनी शक्ति का घमंड न करें और शत्रु को कमजोर न समझें।

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