हिसार

महिलाओं को आत्मनिर्भरता के लिए लोकल के साथ वोकल होना जरूरी

एचएयू के होम साइंस कॉलेज की ओर से ऑनलाइन वर्कशॉप में महिलाओं को किया जागरूक

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के इंदिरा चक्रवर्ती गृह विज्ञान महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित की गई। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण किसान महिलाओं के उत्थान में युवाओं की भूमिका और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूक करना था।
महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. पारूल गिल ने बताया कि कार्यशाला में गृह विज्ञान महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की छात्राओं एवं करीब 10 गांवों की किसान महिलाओं ने भाग लिया। कार्यशाला सह-आयोजक व अखिल भारतीय समन्वित अनुसन्धान परियोजना गृह विज्ञान की नोडल अधिकारी डॉ. वीनू सांगवान ने ग्रामीण महिलाओं को खाद्य प्रसंस्करण एवं उसमें उपयोग होने वाले उपकरणों के बारे में जानकारी दी ताकि कृषक महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में मदद की जा सकती है। डॉ. वीनू सांगवान ने छात्राओं के माध्यम से ये समझाने की कोशिश की कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए अपनी लोकल फसलों के लिए ज्यादा वोकल होना होगा। इसके लिए अपने आसपास उपलब्ध व अपने खेतों में उगाई जाने वाली ताजा फल-सब्जियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। एक ओर जहां यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा वहीं दूसरी ओर आमदनी में इजाफा होगा और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगा। उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्यवर्धन के लिए बाजरे की उन्नत किस्मों खासतौर से जो बायो फोर्टिफाइड किस्में हैं, उनके नियमित सेवन का आह्वान किया जिससे महिलाओं में एनीमिया जैसी बिमारियों का निदान किया जा सकता है। उन्होंने छात्राओं से कहा कि बाजरा की खपत जितनी करेंगे उतना ही स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा।
कृषक महिलाओं को दी श्रम बचाने के उपकरणों की जानकारी
परिवार संसाधन प्रबंधन विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर किरण सिंह ने छात्राओं के माध्यम से कृषक महिलाओं को श्रम से बचाने व थकान कम करने के लिए तरीके व महाविद्यालय द्वारा विकसित उपकरणों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महिलाओं को घर व खेत दोनों जगहों पर कार्य करना पड़ता है। इसलिए इस तरह के उपकरण उनके लिए समय व श्रम दोनों की बचत करते हैं। उन्होंने महिलाओं को कपास चुगाई के लिए कपड़े का बैग, विकसित दरांती, सिर व चेहरे पर कैपरोन, एमडीवी चूल्हा या धुंआ रहित चूल्हा आदि के उचित प्रयोग की जानकारी दी। इसके साथ-साथ घरेलू कार्यों में प्रयोग होने वाले उपकरणों को सही व उचित तरीके से इस्तेमाल करने की गतिविधियों से अवगत कराया। सहायक वैज्ञानिक डॉ. पूनम मलिक ने छात्राओं को युवा शक्ति का एहसास दिलाते हुए बताया कि उनमें देश और दुनिया को बदलने की ताकत है, लेकिन उन्हें जि़म्मेदारी का एहसास भी होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि एक महिला होने के नाते छात्राएं कृषक महिलाओं की दशा सुधारने में सबसे अधिक मदद कर सकती हैं।
इस कार्यशाला के आयोजन के लिए महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. बिमला ढांडा एवं छात्र कल्याण निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह दहिया ने पूरी टीम की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन समय-समय पर किए जाने चाहिए ताकि महिलाओं के उत्थान के साथ-साथ समाज का भी उत्थान हो सके।

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