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श्रीराम ने खोली कोरोना काल में सुल्तान अंसारी की किस्मत, साढ़े 16 करोड़ की हुई कमाई —जानें पूरा मामला

अयोध्या,
कोरोना काल में जहां प्रॉपर्टी डीलर मक्खी मार रहे हैं, वहीं अयोध्या के प्रोपर्टी डीलर ने महज कुछ मिनटों में करोड़ो रुपए कमा लिए। जी हां, इन दिनों सुल्तान अंसारी नामक प्रॉपर्टी डीलर काफी चर्चा में है। बताया जा रहा है कि उन्होंने दो करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन को महज कुछ मिनटों बाद ही 18.5 करोड़ रुपये में बेच दी।
इस जमीन को श्रीराम जन्‍मभूमि ट्रस्‍ट ने खरीदा है। ऐसे में अब में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर सपा,आम आदमी और कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है।
कौन है सुल्तान अंसारी
सुल्तान अंसारी का नाम अयोध्या के बड़े प्रॉपर्टी डीलरों में आता है जबकि रवि मोहन तिवारी उनके पार्टनर हैं। सुल्तान अंसारी के पिता का नाम नन्हे मियां अंसारी है। वो अयोध्या के असर्फी भवन चौराहा के पास कटरा मोहल्ला सुतौठी के रहने वाले हैं। सुल्तान के पिता नन्हे मियां अयोध्या में पुराने प्रॉपर्टी डीलरों में से हैं, जिन्होंने साल 2000 में जमीन खरीदने और बेचने का काम शुरू किया। इसी काम में सुल्तान अंसारी भी लग गए और पिता का हाथ बंटाने लगे।
राजनीति में नहीं चले अंसारी
सुल्तान अंसारी चुनावी किस्मत भी आजमा चुके हैं। साल 2017 के अयोध्या नगर निगम चुनाव में कटरा विभीषण कुंड वार्ड से सपा प्रत्याशी के तौर पर सुल्तान अंसारी चुनाव लड़े थे, जिन्हें बीजेपी की चमेली देवी पत्नी घनश्याम पहलवान ने करारी मात दी थी। यही नहीं सुल्तान अंसारी सपा के संगठन से भी जुड़े हुए हैं। सुल्तान अयोध्या सपा लोहिया वाहिनी के महानगर अध्यक्ष रह चुके हैं। राम मंदिर ट्रस्ट के लिए खरीदी गई जमीन को लेकर चर्चा के केंद्र में हैं।
क्या है मामला
अयोध्‍या में गाटा संख्‍या 243, 244, 246 की जमीन जिसकी मालियत 5 करोड़ 80 लाख रुपये है। उसे 2 करोड़ रुपये में कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्‍तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने 18 मार्च को खरीदा। इस जमीन खरीद में 2 गवाह बने, एक अनिल मिश्र (श्री राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के सदस्य हैं) और दूसरे ऋषिकेश उपाध्‍याय जो अयोध्‍या के मेयर हैं।
इसी जमीन को उसी दिन दस मिनट बाद श्रीराम जन्‍मभूमि ट्रस्‍ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीद ली। इसके लिए 17 करोड़ रुपये आरटी‍जीएस सुल्तान अंसारी के अकाउंट में कर दिया गया। इस तरह से सुल्तान अंसारी ने महज 10 मिनट में साढ़े 16 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
यहां है मामले में मोड़
सुल्तान अंसारी ने यह जमीन साल 2011 में कुसुम पाठक और हरीश पाठक से दो करोड़ में रजिस्ट्री कराई थी, लेकिन बैनामा अब उन्होंने 18 मार्च 2021 को कराया था। वहीं,अब उन्होंने इस जमीन को दस मिनट के बाद राममंदिर ट्रस्ट के नाम साढ़े 18 करोड़ में रजिस्ट्री कर दी है। यही वजह है कि सपा से लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तक राम मंदिर ट्रस्ट को घेरने में जुटे हैं।
क्या होता है बैनामा
प्रॉपर्टी लेन—देन में बिक्रीनामा बैनामा एक अहम दस्तावेज होता है, जिसे कन्वेयंस डीड भी कहा जाता है। कानूनी दस्तावेज होने के अलावा यह एक सबूत है कि विक्रेता ने प्रॉपर्टी खरीददार के नाम कर दी है। इससे यह भी साबित होता हैकि खरीददार ही प्रॉपर्टी का असली मालिक है। अधिकतर प्रॉपर्टी डीलर जो स्वयं जमीन, दुकान, मकान आदि खरीदकर बेचते हैं, बैनामा करवाने में हिचकते हैं। ये डीलर सरकारी स्टांप फीस की बचत के लिए ऐसा करते हैं। ग्राहक मिलने पर ये सीधे उसके नाम पर बैनामा करवा देते हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी में लगने वाली एक स्टांप की फीस प्रॉपर्टी डीलर पचा जाते हैं।
एक खेल ऐसा भी
दअसल, देश के कानून की खामी के चलते आमजन भी प्रॉपर्टी खरीद में जानें—अनजाने में भ्रष्टाचार करता है। प्रॉपर्टी की बाजार ​कीमत सदा बहुत ज्यादा होती है, जबकि कलेक्टर रेट काफी कम। ऐसे में तहसील में कलेक्टर रेट पर रजिस्ट्री करवाई जाती है और पर सरकार को स्टांप ड्यूटी दी जाती है। कलेक्टर रेट का ही पैसा बैंक के जरिए दिया जाता है। बाकि पैसा नगद में दिया जाता है। यह पूरी तरह से एक हिसाब से कालेधन की श्रेणी में आता है।
क्या बोले ट्रस्ट के सचिव
वहीं, श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने इन आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है। चंपत राय ने बयान जारी कहा कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जितनी भूमि खरीदी गई है, उसे बाजार की कीमत से बहुत कम मूल्य पर खरीदा है। उक्त भूमि को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने वर्षों पूर्व जिस मूल्य पर अनुबंध किया था, उस भूमि को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया और उसके बाद ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया गया है। ऐसे में किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया है।

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