अग्रोहा,
ब्लैक फंगस बहुत अधिक खतरनाक साबित हो रहा है। ब्लैक फंगस से मौत के अलावा काफी लोगों को अपनी आंख, जबड़ा तक गंवाना पड़ा। चौकान्ने वाली बात तो यह है कि अभी तक ब्लैक फंगस की दवा की कमी उपचार में बाधक बनी हुई है।
हिसार जिले में 13 मई को ब्लैक फंगस का पहला मामला मिला था। इसके चलते प्रशासन ने ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में विशेष वार्ड बनाया गया है। अब तक यहां 290 मरीज दाखिल हो चुके हैं, जिसमें 76 की मौत हो चुकी है। वहीं, 35 मरीजों ने अंग गंवाए, जिनमें 12 मरीजों की आंख निकाली गई। आंकड़ों के अनुसार ब्लैक फंगस का शिकार हुए करीब 26 प्रतिशत मरीज की मौत हुई है। वहीं करीब 12 प्रतिशत मरीजों को अपने अंग गवांने पड़े हैं। कुछ मरीजों के आधे जबड़े भी निकाले गए हैं।
मेडिकल कॉलेज द्वार मीडिया को जानकारी देने के लिए नियुक्त किए गए डा. अनूप ग्रोवर का कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों को बचाने के लिए हमारी टीम भरसक प्रयास कर रही है। रोजाना 10 से 12 ऑपरेशन किए जा रहे हैं। हमारा स्टाफ बिना अवकाश लगातार ड्यूटी देते हुए ऑपरेशन कर रहा है। देर रात तक ऑपरेेशन चलते हैं। दवा की कमी उपचार में बाधक बनी। ब्लैक फंगस मरीजों के लिए खतरनाक है।