विश्वविद्यालय में आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में जारी व्याख्यान श्रृंखला में वैज्ञानिकों ने रखे विचार
हिसार,
वर्ष 2050 तक विश्व की लगभग 10 अरब की जनसंख्या में से प्रत्येक नौंवा व्यक्ति अल्पपोषित होगा, जिनकी ज्यादा संख्या विकासशील देशों में होगी। इस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को सांझा तौर पर काम करना होगा।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज ने कही। वे विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार की ओर से मनाए जा रहे अभियान आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित कर रहे थे। भविष्य में भी इसी श्रृंखला के तहत अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले वैज्ञानिक व विशेषज्ञ अपने व्याख्यान प्रस्तुत करते रहेंगे। कुलपति ने कहा कि हमें खाद्यान्न उत्पादन में प्रमुख जैविक व अजैविक अवरोधों की पहचान करके उनके प्रबंधन के लिए एकजुट होना होगा। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वैज्ञानिकों को सूक्ष्म एवं सस्ती तकनीकों से लेकर आधुनिकतम तकनीकों का अवलोकन करके उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार उपयुक्त तकनीक का चयन करना होगा। कुलपति ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है और इसको सुनिश्चित करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को निरंतर प्रयास जारी रखने होंगे। विश्वविद्यालय खाद्य सुरक्षा के लिए फसलों की नई किस्में व उनके उत्पादन के लिए तकनीकें विकसित करने में अग्रणी संस्थान रहा है। इसके वैज्ञानिक नई-नई तकनीकों को अपनाने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने आह्वान किया कि वर्तमान परिस्थितियों में फसलों में तकनीकों के प्रसार व किसानों द्वारा अपनाने में सहयोग करने में वैज्ञानिकों को अग्रेता का काम करना होगा।
खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण विषय, मिलकर करने होंगे प्रयास
सिडनी यूनिवर्सिटी आस्टे्रलिया के सीरियल रेस्ट जेनेटिक्स के प्रोफेसर डॉ. हरबंस वरियाणा ने कार्यक्रम में खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए तकनीकी प्रगति का कार्यान्वन विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है और इसके लिए हमें मिलकर कार्य करने होंगे। उन्होंने कहा कि जैविक व अजैविक अवरोधों के प्रबंधन के लिए उपयुक्त मौलिकूलर मार्कर का उपयोग करके बीमारियों, कीटों व अन्य अवरोधों के लिए रोधी डीएनए को चिन्हित करके उसका उपयोग फसलों की नई किस्में विकसित करने में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए पारंपरिक फसल प्रजनन के साथ-साथ दूसरी आधुनिक तकनीकों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए। अनुसंधान निदेशक डॉ एसके सहरावत ने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव भारत की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पहले शुरू हुआ है जो कि 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगा।
अफगानिस्तान व आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक भी हुए शामिल
कार्यक्रम का आयोजन अनुसंधान निदेशालय की ओर से किया गया था, जिसमें अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत चैयरमेन, अतिरिक्त अनुसंधान निदेशक डॉ. नीरज कुमार संयोजक व प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. सतीश कुमार सह-संयोजक थे। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजवीर सिंह, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. एम.एस. सिद्धपुरिया, एमएचयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. आर.के. गोयल सहित सहित अफगानिस्तान व ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक व विशेषज्ञों, विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्षों,विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों व विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।