हिसार

महिला होकर भी महिलाओं की आवाज नहीं सुन रही मंत्री : बिमला राठी

आंगनवाड़ी महिलाओं ने मंत्री का पुतला बनाकर कानों में डाली रूई

हिसार,
आंगनवाड़ी केन्द्रों को निजी एनजीओ के अधीन करने के विरोध में तथा वर्ष 2018 का समझौता लागू करवाने की मांग पर आंदोलन चला रही आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन ने राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री पर आरोप लगाया है कि एक महिला होने के नाते वे महिलाओं की आवाज नहीं सुन रही है। इसके साथ ही आंदोलनरत महिलाओं ने कानों में रूई डाले मंत्री का पुतला बनाकर उसे आंदोलन स्थल खड़ा किया है और कहा है कि मंत्री उनकी आवाज नहीं सुन रही है।
आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन ने आंदोलन के 27वें दिन आंदोलन की रणनीति बदलते हुए मंत्री का पुतला तैयार करके उसके कानों में रूई डाली है। महिलाओं का कहना है मंत्री उनकी आवाज नहीं सुन रही है। आंदोलन के 27वें दिन की अध्यक्षता जिला प्रधान बिमला राठी ने की जबकि संचालन कमलेश बूरा एवं राजबाला सहारण ने किया। जिला प्रधान बिमला राठी ने कहा कि आंगनवाड़ी महिलाएं पिछले 27 दिनों से आंदोलनरत है, इसके चलते कामकाज प्रभावित हो रहा है लेकिन मंत्री के कानों तक उनकी आवाज नहीं जा रही है जो निंदनीय है। मंत्री महिला होकर महिलाओं की आवाज नहीं सुन रही है जो निंदनीय है।
जिला उप प्रधान कमलेश बूरा ने मांग की कि हरियाणा सरकार द्वारा 2018 में जो समझौता किया गया था, वो लागू किया जाए, 2018 में वर्कर का वेतन जो 1500 व हेल्पर का 750 रुपये बढाने की सहमति हुई थी, उसे लागू किया जाए, सरकार द्वारा पोषण ट्रैक ऐप जो मानदेय से जोड़ा गया है जो कि गलत है इससे दोहरा काम करना पड़ेगा रजिस्टर में भी और ऐप पर भी जबकि विभागीय रजिस्टर में टीकाकरण, गृह भ्रमण, बच्चों व गर्भवती महिलाओं का वजन, मीटिंग व सर्वे करवाए जा रहे हैं इसलिए पोषण ट्रेक ऐप पर रोक लगाई जाए। उन्होंने मांग की कि वर्कर व हेल्पर को आयुष्मान योजना से जोड़ा जाए, रुका हुआ मानदेय व सेंटरों का किराया दिया जाए, खाना बनाने के लिए सिलेंडर की सप्लाई विभाग द्वारा की जाए, एनजीओ का दख़ल बंद करके सरकार सीधा काम करवाए, प्ले स्कूल के नाम पर वर्करों की छंटनी बंद की जाए और सभी को प्लेवे की ट्रेनिंग दी जाए। उन्होंने कहा कि जब तक ये मांगे लागू नहीं होती, तब तक धरना जारी रहेगा।
धरने को संबोधित करते हुए जिला सह सचिव सुशीला जांगड़ा ने कहा कि महीना शुरू होने से पहले आगनवाड़ी वर्कर से लाभपात्र की संख्या मांगी जाती हैं, उसी हिसाब से हमें राशन की सप्लाई दी जाती हैं। जो बच्चे हमारे सेंटर में आते हैं, हम उन्हीं लाभपात्रों को राशन देते है लेकिन जबसे लॉकडाऊन लगा है समस्या ये है कि एरिया के सभी लोग चाहते है कि हमारे बच्चों को भी राशन मिले लेकिन जब हम पकाकर राशन देते थे तब वह लेना अपनी शान के खिलाफ समझते थे अब तो आए दिन कोई न कोई आरटीआई लगाकर बोलता हैं कि मुझे भी राशन चाहिए। उन्होंने विभाग से मांग की कि या तो पूरे सर्वे के बच्चों को राशन दे अन्यथा वह आरटीआई मेंबर की अपने लेवल पर ही सुनवाई करे। जब उस बच्चे की कोई हाजिरी ही नहीं है तो वर्कर पर राशन देने का दबाव न बनाया जाए। अगर ऐसे ही चलता रहा तो आए दिन कोई न कोई आगनवाड़ी पर आरटीआई लगाता रहेगा और आंगनवाड़ी महिलाएं न केवल परेशान होती रहेगी बल्कि विभागीय कार्य भी बाधित होगा।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सरसाना से शिमला, बबीता, कांता, सरोज, बिमला, बासड़ा से शकुंतला, सुनीता, भिवानी रोहिला से ममता, सवेरा, लीलावती, सलोचना, कैलाश, कमलेश मदीना, कमला, अंजना, मुकेश हसनगढ़, कमला देवी, धीरणवास से राजबाला, सुमन, गीता, मंजू, चमेली, किरतान से संतोष, अंगूरी, सरस्वती, फूला, सरोज , कुसुमलता, सरोज, गोरछी से राजबाला, जोगिंद्र, संतोष, गावड़ से गीता व सुमन सहित सैंकड़ों महिलाएं शामिल हुई।

Related posts

रोडवेज नेताओं ने कर्मचारियों को दी सरकार से समझौते की पूरी जानकारी

Jeewan Aadhar Editor Desk

8 सितंबर 2018 को हिसार में होने वाले मुख्य कार्यक्रम

Jeewan Aadhar Editor Desk

विनोद कड़वासरा बने वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) भारत सरकार के वालंटियर सदस्य