डॉ. दीपक कुमार दीप की काव्य कृति ‘ये कैसा इश्क’ का लोकार्पण
‘इक नशा हर जिंदगी में, साथ होना चाहिए, ख्वाब छोटा ही सही, सबको पिरोना चाहिए’
हिसार,
हिसार की प्रतिष्ठित संस्था ‘चंदन साहित्य मंच’ के तत्वावधान में भव्य काव्य गोष्ठी में नोएडा से पहुंचे हिसार के रचनाकार डॉ. दीपक कुमार दीप की दूसरी काव्य कृति ‘ये कैसा इश्क’ का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार महेन्द्र जैन ने की और मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र हिसार के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक एमपी कुलश्रेष्ठ रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ पूनम मनचंदा ने मधुर स्वरों में सरस्वती वंदना से किया। मंच संचालन मंच के महासचिव साहित्यकार नीरज कुमार मनचंदा ने किया।
आयोजित काव्य गोष्ठी में नवोदित कवयित्री रिया नागपाल ने ‘छोटी सी आंखों में मोटे से आंसू लिए तैयार हुए थे हम, डर था आगे क्या है होना, टीचर को देख कर निकला रोना’ सुनाकर सबको बचपन याद करा दिया। कवि पीपी शर्मा ने ‘दूरिया बढ़ाने में क्या रक्खा मेरे भाई है, बढ़ानी है तो आप नजदीकियां बढ़ाइये’ सुनाकर समां बांध दिया। कवयित्री दिव्या कालड़ा ने ‘अनकहे शब्द सुनता है खुदा, इन्ही इनायतों से भरपूर हूं मैं’ की अभिव्यक्ति देकर प्रशंसा पायी।
कवयित्री पूनम मनचंदा ने ‘हरियाणे की माटी मेरी हरियाणे का देस, हरियाणे ने दिया जगत को गीता का उपदेश’ गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवयित्री सुनीता महतानी ने ‘तुम्हें चाहा बहुत मगर बता नहीं पायी’ सुनाकर सबकी तारीफ पायी। कवि दीपक प्रताप ने मोहक स्वरों में ‘बंध टूटा है चटक कर,दर्द बहता है निरंतर’ प्रस्तुत कर वाह वाही पायी। कवयित्री पूनम मेहता ने ‘फासले है बढ़ रहे, तेरे मेरे दरमियां, तभी तो तू उदास है, तभी तो मैं पशेमां हूं’। कवि राजेश पूनिया ‘विश्वबंधु’ ने सर्वहारा वर्ग के लिए एक शानदार रचना ‘न चाहिए कोई ताली मुझको, न अभिनंदन चाहता हूं, दो आंसू तुम बहालो सुनकर, दो आंसू मैं बहाता हूं’ सुनायी। कवयित्री करुणा मुंजाल ने ‘मैं हिंदी की वो बेटी हूं जिसे उर्दू ने पाला है’ सुनाकर तालियां बटोरी। डॉ. दीपक कुमार दीप ने अहसासों से जुड़ी शानदार कविता ‘मैं और मरे हुए जज़्बातों की लाश’ प्रस्तुत की। कवि सुभाष सिंह पूनिया ने बहुत खूबसूरत कविता ‘खिलवाड़ कर सकते हो तुम मेरे चेहरे की मुस्कुराहट से, पर मैं मेरे अंदर की खुशी किसी को छीनने नहीं दूंगा’ सुनायी। अरुणा आहूजा ने सस्वर ‘एक बंजारा इकतारे पर जब से गावे’ सुंदर गीत प्रस्तुत किया। गजलकार सुरेन्द्र सागर ने ‘रू ब रू देख लेते हम उसको, काश हम भी हिसार में रहते’ सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। कवयित्री रिम्पी अंकुर लीखा ने ‘इक नशा हर जिंदगी में, साथ होना चाहिए, ख्वाब छोटा ही सही, सबको पिरोना चाहिए’ गाकर सभी के हृदय को झंकृत किया। वरिष्ठ गजलकार तिलक सेठी ने खूबसूरत गजल का आगाज कुछ यूं किया ‘किसी औरत या बच्चे सा, मुझे होने नहीं देता, मेरा ये आदमी होना, मुझे रोने नहीं देता।’ डॉ. मीरा सिवाच ने नारी सशक्तिकरण से जुड़ी बेहतरीन रचना ‘तैयार हूं हर कल के लिए, मैं स्वतंत्र हूं’ सुनायी। गजलकारा ऋतु कौशिक ने गजल ‘गुजर तेरे बिन कजा नहीं थी तो और क्या था, तू मेरे गम की दवा नहीं थी तो और क्या था’ प्रस्तुत कर सराहना पायी। गजलकार नीरज कुमार मनचंदा ने गजल ‘चाहते हो गर परखना ये जलेंगे या नहीं, ले के आओ तुम चरागों को हवा के सामने’ सुनाकर समां बांधा। मुख्य अतिथि एमपी कुलश्रेष्ठ ने राधे कृष्णा का मनमोहक गीत सस्वर सुनाकर सबका दिल जीत लिया। मंच के अध्यक्ष महेन्द्र जैन ने गजल ‘गम दे के जहां भर के, खुश रहने को कहते हो, है ये भी अदा उनकी, हमें यूं तड़पाने की’ सुनाकर महफिल लूट ली। मंच की उपाध्यक्ष ऋतु कौशिक ने सभी आगंतुक कवि, कवयित्रियों का धन्यवाद किया।