हिसार

ये क्या, खुद ही आंगनवाड़ी सेंटरों के ताले तोड़कर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे विभाग के अधिकारी

आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर यूनियन ने एडीसी को ज्ञापन देकर बताई हकीकत

सरकारी विरोधी गीतों के साथ यूनियन का धरना 47वें दिन भी रहा जारी

हिसार,
आंगनवाड़ी केन्द्रों को निजी एनजीओ के अधीन करने के विरोध में व वर्ष 2018 में हुआ समझौता लागू करने की मांग पर आंदोलन कर रही आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन ने विभागीय अधिकारियों पर ओच्छी हरकतों पर उतरने का आरोप लगाया है। यूनियन ने धरने के दौरान ही एडीसी को ज्ञापन सौंपकर उन्हें हेल्पर व वर्कर की समस्याओं व विभागीय अधिकारियों की कारस्तानी से अवगत करवाया है। एडीसी ने उनके मांगपत्र पर कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
लघु सचिवालय के समक्ष चल रहे धरने व अनशन के 47वें दिन की अध्यक्षता जिला प्रधान बिमला राठी व प्रोमिला हांसी ने की जबकि कविता राजली व सरोज डोभी ने संचालन किया। यूनियन की जिला प्रधान बिमला राठी ने आरोप लगाया कि आंदोलन के चलते विभागीय अधिकारी ओच्छी हरकतों पर उतर आए हैं। विभागीय सुपरवाइजर सेंटरों के ताले तोडक़र वर्करों पर सेंटर खोलने का दबाव बना रही है। उन्होंने कहा कि यदि किसी सुपरवाइजर ने भविष्य में किसी सेंटर का ताला तोड़ा तो उसके खिलाफ पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई जाएगी क्योंकि ताला तोडऩा बहादुरी नहीं अपराध है। ऐसी हालत में यदि वहां से कोई सामान गायब हो गया तो कौन जिम्मेवार होगा, अधिकारियों को विचार कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए, जो आंगनवाड़ी महिलाओं की जायज मांगों को लटकाती रहती है और अब आंदोलन के समय उन्हें प्रताडि़त कर रही है। उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि वर्करों व हेल्परों के दम पर ही उनकी नौकरी सलामत है। इस अवसर पर राजवंती रामायण, सुमन डोभी, सुनीता रावलवास व संगीता गंगवा ने भी विचार रखे जबकि मनतारी चोपड़ा ने सरकार विरोधी गीत गाए।
धरने के दौरान ही यूनियन ने अतिरिक्त उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा जिसमें वर्कर व हेल्पर की समस्याओं व विभागीय अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे स्पष्टीकरण से अवगत करवाया गया। ज्ञापन में कहा गया कि वर्कर व हेल्पर से आगनवाड़ी के सभी कार्य पूर्ण रूप से किए हैं, जैसे सूखा राशन वितरण, कमजोर बच्चों की स्वास्थ्य जांच, परिवार पहचान पत्र वेरीफिकेशन, टीकाकरण, वीएचएनडी, आपकी बेटी-अपनी बेटी स्कीम, पीएमएमवीवाई स्कीम, लाडली केवीवी वितरण करवाना आदि कार्य कर दिए गए हैं। पीएमएमवीवाई ऑडिट भी करवाया है लेकिन हमें केंद्र चलाने में समस्या आ रही है। किराए पर चलने वाले आगनवाड़ी केंद्रों का किराया गांव में 200 रुपये और शहरों में 1500 रुपये निर्धारित किया हुआ है और वो भी कभी छह माह में, कभी एक साल में तो कभी दो साल में दिया जाता है। गांव में वर्कर कई जगह 1000 रुपये या 1500 रुपये में और शहरों में 2000 से 2500 रुपये तक किराया अपनी जेब से भरकर सेंटर चला रही है जिसकी तरफ हमारे अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है। सुपरवाइजर द्वारा हमें बार-बार ऑफिस में बुलाया जाता है, उसका हमें कोई भी टीए, डीए नहीं दिया जाता, जो बच्चों के सूखा राशन की सप्लाई आती हैं वह सेंटर पर डालने की बजाए एक सेंटर में डाल दी जाती हैं जिसका भी किराया वर्कर व हेल्पर द्वारा वहन किया जाता हैं, राशन बनाने के लिए जो हमे इंधन का पैसा दिया जाता है वह भी कम पड़ रहा हैं क्योंकि सिलेंडर के रेट बढ़ गये हैं और हमारे इंधन के पैसे की कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
ज्ञापन में कहा गया कि इन समस्याओं बारे कई बार अवगत करवाया गया लेकिन समस्या का निपटारा न होने के कारण इस समस्या को यूनियन के समक्ष रखना पड़ा। यूनियन की ओर से विरोधस्वरूप एमपीआर मासिक प्रगति रिपोर्ट रोकने एवं काम रोको जैसा नोटिस सरकार को दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुपरवाइजर, सीडीपीओ एवं पीओ द्वारा स्पस्टीकरण निकाल कर हमें धमकियां दी जा रही है कि आप या तो धरने से उठ जाओ नहीं तो आपकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएगी। ज्ञापन में मांगों व समस्याओं का समाधान करने व स्पष्टीकरण वापिस लेने की मांग की गई। एडीसी ने आश्वासन दिया कि उनके ज्ञापन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

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