हिसार

लुवास में बकरी की आयु निर्धारण पर डेमोंस्ट्रेशन

हिसार,
लुवास के विस्तार शिक्षा निदेशालय की ओर से पशु आनुवांशिकी और प्रजनन विभाग के सहयोग से यूनिवर्सिटी के भेड़-बकरी फार्म पर बकरी की आयु निर्धारण पर डेमोंस्ट्रेशन का आयोजन किया गया। बकरियों की तंदुरूस्ती और उनकी उत्पादक क्षमता बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि बकरियों का भरण पोषण व रखरखाव उनकी आयु के अनुसार किया जाये। बकरी खरीदते समय एक नौसीखिए किसान को बकरी की आयु की अक्सर संदेह और चिंता होती है क्योंकि मादा बकरियों में प्रजनन क्षमता लगभग 7 से 8 वर्ष की आयु तक बनी रहती है तदोपरांत धीरे-धीरे यह कम होने लगती है। नर बकरे 2 से 6 वर्ष की आयु तक गर्भाधान करने योग्य बने रहते हैं।
बकरियों में अन्य पशुओं की तरह आयु का निर्धारण उनके दांतों के आधार पर किया जा सकता है। बकरियों में 20 दूध के दांत और 32 स्थायी दांत होते हैं। इन 32 दांतों में से 8 कुत्तरने के दांत नीचे के जबड़े में तथा 12-12 प्रीमोलर व मोलर दांत (अगली व पिछली जाड़ें) ऊपर व नीचे के दोनों जबड़ों में होते हैं। दूध के दांत छोटे, सफेद और नुकीले होते हैं और स्थायी दांत कम नुकीले, चौड़े व पीलापन लिये होते हैं। गाय-भैंसों की तरह बकरियों में भी आगे के दांत केवल नीचे के जबड़े में होते हैं। ऊपर के जबड़े में आगे के दांतों की जगह केवल मजबूत मसूड़ो होता है जिसे डेंटल पैड कहते हैं। बकरी की उम्र का पता लगाने के लिए नीचे के जबड़े के 8 कुत्तरने के दांतों को देखा जाता है।
जन्म से लेकर जीवन के पहले साल तक बकरा व बकरी में नीचे के जबड़े में आठ दूधिया दांत होते हैं। धीरे-धीरे उम्र के बढऩे के साथ-साथ इन दूधिया दांतों की जगह स्थायी दांत लेने लगते हैं। जब बकरी या बकरा पूरे दो दांत (स्थायी दांत) का हो जाता है तो उसकी उम्र एक साल से ऊपर, चार दांत का होने पर दो साल से ऊपर, छह दांत का होने पर तीन साल से ऊपर तथा आठ दांत का होने पर पशु की उम्र चार साल से ऊपर मानी जाती है। ऐसी बकरी या बकरा को पूरे मुंह की बकरी या बकरा भी कहा जाता है। इससे ज्यादा की उम्र का पता इस बात से लगाया जाता है कि कुतरने वाले दांत कितने फैले, घिसे व टूटे हैं। बकरी या बकरा की औसत आयु 12-15 वर्ष होती है। डेमोंस्ट्रेशन के आयोजन में डॉ. योगेश बांगड़ का विशेष योगदान रहा। उन्होंने पशुपालकों की बकरियों की आयु से संबंधित सभी शंकाओं का बखूबी निवारण किया।
डेमोंस्ट्रेशन का आयोजन विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. धर्मबीर सिंह दहिया के दिशा निर्देशन में डॉ. सरिता एवं डॉ. सज्जन ने किया। डेमोंस्ट्रेशन के सफल आयोजन के लिए डॉ. सरिता ने डॉ. एएस यादव, विभागाध्यक्ष, पशु आनुवांशिकी एवं प्रजनन विभाग व टीम का धन्यवाद किया। लुवास समय-समय पर उन्नत डेयरी पालन, सुअर पालन, भेड़-बकरी पालन, मुर्गी पालन से संबंधित प्रशिक्षण, डेमोंस्ट्रेशन, किसान गोष्ठी आदि का आयोजन करती रहती है।

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