हिसार

1857 की क्रांति में लाला हुकम चंद्र जैन ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाया था : बजरंग गर्ग

लाला हुकुमचंद जैन ने जनता के हित में संस्कृत महाविद्यालय, छात्रावास, मंदिर, धर्मशाला आदि की स्थापना की

हिसार,
अग्रोहा धाम अग्रोहा विकास ट्रस्ट की तरफ से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी लाला हुकमचंद जैन का अमर शहीद दिवस अग्रोहा धाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग की अध्यक्षता में मनाया गया। सभी प्रतिनिधियों ने लाला हुकमचंद जैन को श्रद्धासुमन अर्पित की।
इस अवसर पर अग्रोहा धाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने लाला हुकमचंद जैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि लाला हुकम चंद जैन का जन्म 1816 में हांसी के हिसार जिले में हरियाणा के प्रसिद्ध कानूनगो परिवार में दुनीचंद जैन के घर हुआ था। वर्ष 1857 की क्रांति में लाला हुकमचंद जैन ने बेहद कम समाधानों के बावजूद भी अंग्रेजी सरकार के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाया था। उन्होंने एक पत्र लिखकर बहादुर शाह जफर से युद्ध सामग्री की मदद मांगी, मगर यह गुप्त पत्र अंग्रेजों के हाथ लग गया। इसी आधार पर अंग्रेजी सरकार ने लाला हुकमचंद जैन को उनके घर के सामने 19 जनवरी 1858 को फांसी पर लटका दिया गया और उनके सहयोग मुनीर बेग व लाला हुकमचंद जैन के भतीजे फकीर चंद को भी फांसी दे दी गई, जबकि लाला हुकमचंद जैन को दफनाया गया और वजीर मुनीर बैग जो मुसलमान था उसके शव को जलाया गया था।
इस अवसर पर चुडिय़ा राम गोयल टोहाना, घीसाराम जैन आदमपुर, ऋषि गर्ग रतिया, रामनिवास गोयल फतेहाबाद, रमेश गर्ग नरवाना, ईश्वर गोयल जींद, राजीव गुप्ता कैथल, कृष्ण सिंगला सिरसा, ऋषिराज गर्ग बुडाकिया, सत्यप्रकाश आर्य, निरंजन गर्ग, बजरंग लाल असरावां वाले, त्रिलोक चंद कंसल, निरंजन गोयल, रामअवतार जिंदल, बजरंग दास जैन आदि प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।

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