धर्म

धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—678

दशहरे के दिन संत मंच पर खड़े हुए। सामने भीड़ थी और उसी भीड़ में कुछ नेता भी पंक्ति में बैठे थे। संत ने मुस्कुराकर...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 677

एक बार लंका युद्ध में लक्ष्मण मेघनाद के बाण से गंभीर रूप से घायल होकर मूर्छित हो गए। पूरा रणक्षेत्र मौन हो गया। श्रीराम का...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-676

Jeewan Aadhar Editor Desk
अयोध्या का राजकुमार श्रीराम जब वनवास के लिए निकले, तो उनके पास न तो राजसिंहासन था, न सेना, न धन। लेकिन उनके पास चार अमूल्य...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—675

Jeewan Aadhar Editor Desk
अयोध्या में भरत और राम का जो प्रेम था, वह केवल भाई–भाई का रिश्ता नहीं था, बल्कि त्याग, विश्वास और निस्वार्थ भाव का सर्वोच्च उदाहरण...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—674

Jeewan Aadhar Editor Desk
किशन नाम का एक युवक था। वह पढ़ाई में होशियार था, लेकिन जैसे ही कोई कठिन विषय सामने आता, वह जल्दी हार मान लेता। बार-बार...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से — 673

Jeewan Aadhar Editor Desk
एक बार एक बड़े शहर में कॉलेज के छात्र एक संत से मिलने आए। उनमें से एक छात्र ने प्रश्न किया— “गुरुदेव, रामायण तो प्राचीन...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 672

Jeewan Aadhar Editor Desk
अयोध्या नगरी में जब रामराज्य का समय आने वाला था, तभी मंथरा ने कैकेयी के मन में संदेह का बीज बो दिया। उस एक कुटिल...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—671

Jeewan Aadhar Editor Desk
जनकपुर में सीता स्वयंवर के अवसर पर जब श्रीराम ने शिवधनुष तोड़ा, तो परशुराम जी प्रचंड क्रोध में भरकर पहुँचे। उन्होंने गरजते हुए कहा— “कौन...
धर्म

परहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—670

Jeewan Aadhar Editor Desk
एक समय की बात है। अयोध्या के राजकुमार श्रीराम अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जंगल में आए। वहां एक भयंकर राक्षसी ताड़का रहती थी। ताड़का...
धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 669

Jeewan Aadhar Editor Desk
गाँव में हर साल बड़े धूमधाम से रामलीला होती थी। बच्चे, बूढ़े, जवान – सभी शाम को अपना-अपना काम छोड़कर मैदान में पहुँच जाते। लेकिन...